दिल्ली प्रदेश भाजपा की ओर ‘जननायक स्व कर्पूरी ठाकुर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित करने पर प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करने के लिए दिल्ली के आंबेकर सेंटर में आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर सम्बोधित करते हुए बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में शराबबंदी की थी और आज दिल्ली के मुख्यमंत्री शराब घोटाले में जेल में है।
राजनीतिक शुचिता और ईमानदारी के प्रतीक स्व. कर्पूरी ठाकुर जी सच्चे अर्थों में ‘गरीबों के मसीहा’ और ‘गुदड़ी के लाल’ थे। केन्द्र सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित कर एक तरह से बिहार और देश के करोड़ों गरीब-गुरब्बों और पिछड़ों का सम्मान किया है। आज पूरा बिहार अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पूर्वांचल और बिहार की जनता मोदी सरकार के लिए समर्पित है। गरीब, पिछड़े, आदिवासी, दलित समाज का सम्मान सिर्फ और सिर्फ मोदी सरकार में बढ़ा है। दिल्ली में पूर्वांचल की जनता आदरणीय मोदी जी के सम्मान में भी कोई कमी नहीं आने देगी।
चौधरी ने कहा कि कर्पूरी जी आजीवन गैरकांग्रेसवाद के पक्ष और कांग्रेस के विरोध में संघर्ष करते रहे। उन्होंने अपने सिद्धांत से कभी समझौता नहीं किया। मूल्यों की राजनीति में आस्था रखने वाले कर्पूरी जी को मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे हुए भी लोभ-लालच कभी प्रभावित नहीं कर सका।
चौधरी ने कहा कि बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए गठित मुंगेरीलाल कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर 1978 में कर्पूरी जी की उस सरकार ने नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की जिसमें जनसंघ की ओर से कैलाशपति मिश्र मंत्री थे। इसके तहत सरकारी नौकरियों में पिछड़ों को एनेक्चर-1 और 2 के तहत आरक्षण लागू किया गया। 1977 में उन्हें दुबारा मुख्यमंत्री बनाने में भी जनसंघ की बड़ी भूमिका थी। जनसंघ के कद्दावर नेता व कर्पूरी मंत्रिमंडल के वितमंत्री कैलाश पति मिश्र का उनके हर बड़े निर्णय में हमेशा साथ रहा।
उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने 1952में बिहार विधान सभा का पहली बार चुनाव जीता था और राजनीति में हमेशा अजेय ही रहे। वे कभी चुनाव हारे नहीं। वे एक बार उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री पद को शोभित किए। उसके बाद अधिकतर समय उन्होंने विरोधी दल के नेता की ही भूमिका निभाई। कर्पूरी ठाकुर की ईमानदारी को इस बात से समझा जा सकता है कि जब उनका निधन हुआ तो उनके बैंक खाते में पांच सौ रुपये भी नहीं बचे थे, वहीं जायदाद केे नाम पर केवल एक खपरैल का पुराना मकान था।
उन्होंने कहा कि मगर आज उनके नाम पर राजनीति करने वाले लोग न केवल आरक्षण को लेकर भ्रम फैलाते हैं बल्कि भ्रष्टाचार की बुनियाद पर अकूत नामी/बेनामी सम्पत्ति का अम्बार भी खड़ा किए हुए हैं। अपने को कर्पूरी जी का शागिर्द बताने वाले लालू यादव चारा घोटाले के पांच मामलों में सजायफ्ता होकर जेल-बेल के भंवर में झूल रहे हैं तो वहीं उनके अनेक परिजन भ्रष्टाचारजनित बेनामी सम्पत्ति के अनेक मामलों में आरोपित हैं। बिहार की जनता को ऐसे लोगों से सचेत रहने की जरूरत है।