झारखंड के चुनावी महाभारत में राजनीतिक दलों ने अपने-अपने योद्धाओं को उतार दिया है। राजमहल लोकसभा सीट से झामुमो ने एक तरफ जहां पिछले दो बार से मोदी लहर में भी अपना वर्चस्व कायम रखने वाले युवा सांसद विजय हांसदा पर अपना भरोसा जताया है। तो वहीं, बीजेपी ने यहां से पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे कद्दावर और आदिवासियों के नेताओं ताला मरांडी को मौके दिया है। इस बीच AIMIM द्वारा भी अपने उम्मीदवार को उतारने के ऐलान कर दिया गया है, जिसके बाद से दो तरफा मुकाबला अब त्रिकोणिय हो गया है।
दरअसल, राजमहल संसदीय क्षेत्र में अल्पसंख्यक खास कर मुस्लिम मतदाताओं की आबादी अच्छी खासी है। ऐसे में अगर ओवैसी की पार्टी AIMIM के उम्मीदवार की ओर मुस्लिम वोटरों का झुकाव होता है तो झामुमो के युवा प्रत्याशी विजय हांसदा के लिए चुनावी वैतरणी पार करना आसान नहीं होगा। उन्हें मुस्लिम वोट पाने के लिए अलग तरह से केंपेन करना होगा।
गौरतलब हो कि साल 2014 और 2019 में राजमहल सीट नरेंद्र मोदी के प्रभाव से दूर रहा था, उस वक्त विजय हांसदा की अच्छे अंतर से जीत हुई थी। इस बार न सिर्फ अपने ही दल के वरिष्ठ विधायक लोबिन हेंब्रम चुनाव मैदान में हैं। बल्कि AIMIM ने रणनीति के तहत अनुसूचित जनजाति के पॉल सोरेन को मैदान में उतारा है। अगर 33 फीसदी मुस्लिम मतदाता और लगभग 37 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के वोटों में बिखराव हुआ तो झामुमो प्रत्याशी की राह मुश्किल हो सकती है।