भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल (CPIML Kunal) ने कहा है कि बिहार के विद्यालयों में सुबह 6 बजे से लेकर अपराहन 1:30 बजे तक खुले रखने का आदेश पूरी तरह अव्यावहारिक है। इसके कारण छात्रों और शिक्षक समुदाय को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। माले राज्य सचिव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि गर्मी को देखते हुए स्कूलों की समय सारणी में बदलाव होना चाहिए और उसे अविलंब व्यावहारिक बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के अपर सचिव के के पाठक अपने इस प्रकार के तुगलकी फैसलों के कारण बदनाम हो चुके हैं। शिक्षा व्यवस्था में सुधार से ज्यादा वह परेशानियों के सबक बने हुए हैं फिर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। यह बहुत ही दुखद है।
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बताते चलें कि शिक्षा विभाग के मुख्य अपर सचिव केके पाठक ने गर्मी को देखते हुए स्कूल का समय सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक कर दिया है, लेकिन स्कूल की इस नई समय सारिणी को लेकर बवाल मचा हुआ है। शिक्षकों का कहना है कि ये समय उनके लिए अनुकूल नहीं हैं। वहीं बिहार विधान परिषद के 5 एमएलसी ने भी शिक्षकों का पक्ष लेते हुए पत्र लिखकर शिक्षा मंत्री से सरकारी स्कूल के समय में बदलाव की मांग की थी। सुबह 6 बजे के बजाए स्कूल का टाइम 6:30 सुबह से 11:30 बजे तक किया जाए। ताकि शिक्षकों को स्कूल आने में कोई परेशानी ना हो।
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इधर, शिक्षकों के विरोध और विधान पार्षदों के पत्र के बाद शिक्षा विभाग ने जवाब देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत स्कूल में कार्य अवधि 7.5 घंटे निर्धारित है. शिक्षा विभाग ने पोस्ट में आगे लिखा लिखा कि निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत प्रतिदिन शिक्षकों के लिए कार्य अवधि 7.5 घंटे (इसमें पठन-पाठन की तैयारी की अवधि निहित)। शिक्षा विभाग के इस पोस्ट से स्पष्ट होता है कि विभाग के लिए कानून के तहत स्कूल अवधि को इससे कम करना संभव नहीं है।