झारखंड की राजनीति में आखिरकार कल्पना सोरेन का डंका बज ही गया। कल्पना ने महज तीन महीने में अपने आप को एक मजबूत प्रतिनिधी के रूप में लोगों के सामने रखा। उन्होंने ससुर और पति की राजनीतिक विरासत को संभालते हुए उसे आगे ले जाने में अपनी योगिता जाहिर कर दी। गांडेय उपचुनाव जीत चुकी कल्पना सोरेन ने बता दिया कि वह एक ताकतवर राजनेता बन सकती है।
दरअसल, मंगलवार को कल्पना सोरेन की विधिवत रुप से झारखंड की राजनीति में एंट्री हो गई है। जीत हासिल करते ही उन्होंने जनता के प्रति सोशल मीडिया के जरिए आभार जताया। गौर करने वाली बात है कि इस सीट को झामुमो के विधायक रहे सरफराज अहमद ने राजनीतिक अस्थिरता के दौर में खाली किया था। पिछली बार उन्होंने 8 हजार से ज्यादा वोट के अंतर से जीत हासिल की थी। लेकिन कल्पना सोरेन ने तीन गुणा ज्यादा वोट के अंतर से जीत हासिल कर खुद को एक कुशल नेतृत्वकर्ता के रुप में साबित कर दिया है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन की मंझली बहू कल्पना सोरेन की झारखंड की राजनीति में अब विधिवत एंट्री हो गई है। गांडेय विधानसभा उपचुनाव जीतकर उन्होंने साबित कर दिया है कि वह सोरेन परिवार की राजनीतिक विरासत को संभालने में सक्षम हैं। सबसे खास बात है कि सफलता के इस पड़ाव तक पहुंचने के लिए उन्हें सिर्फ तीन माह का समय लगा। 4 मार्च को उन्होंने झामुमो के कार्यकर्ताओं के साथ पहली बार गिरिडीह में सीधा संवाद किया था। तब वह अपने आंसूओं को नहीं रोक पाई थी। इसके बाद कल्पना सोरेन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।