अभी लोकसभा चुनाव 2024 का समापन हुआ है लेकिन चुनावी प्रक्रिया बिहार में अभी जारी रहेगी। इसका कारण यह है कि लोकसभा चुनाव में 4 विधायकों ने जीत दर्ज की है। अब ये नेता विधायकी छोड़ सांसद बन चुके हैं। इनकी सीटों पर उपचुनाव होना है। लोकसभा चुनाव में असली परीक्षा एनडीए की थी क्योंकि उनके पास पिछले चुनाव में बिहार की 40 में से 39 सीटें थीं। इस बार उपचुनाव में अग्निपरीक्षा राजद और महागठबंधन की है, क्योंकि जिन 4 सीटों पर उचचुनाव होना है उनमें 3 सीटें महागठबंधन के पास थीं।
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चार सीटों पर होगा उपचुनाव
खाली हुई सीटों में पहली सीट रामगढ़ की है, जहां से विधायक सुधाकर सिंह अब बक्सर से सांसद बन चुके हैं। वहीं तरारी के विधायक सुदामा प्रसाद आरा के सांसद चुने गए हैं। जबकि बेलागंज के विधायक सुरेंद्र यादव अब जहानाबाद सीट से सांसद बन चुके हैं। इसमें सुधाकर सिंह और सुरेंद्र यादव राजद से हैं। जबकि सुदामा प्रसाद माले से हैं। चौथी सीट इमामगंज की है, जहां से 2020 में विधायक चुने गए पूर्व सीएम जीतन राम मांझी गया से लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र में कैबिनेट मंत्री बन गए हैं।
उपचुनाव को लेकर तेजस्वी यादव पर सबसे अधिक दबाव है। क्योंकि राजद की दो में से एक सीट पर टक्कर भाजपा के साथ होगी। रामगढ़ सीट पर पिछली बार राजद के सुधाकर सिंह महज 186 वोट से जीते थे। यहां से एनडीए की ओर से भाजपा ने चुनाव लड़ा था। हालांकि भाजपा के अशोक सिंह तीसरे स्थान पर थे। दूसरे स्थान पर बसपा के अंबिका सिंह रहे थे। इसलिए उपचुनाव में एक बार फिर भाजपा के उम्मीदवार के ही उतरने की संभावना है। ऐसे में अगर राजद वो सीट हार जाती है तो बिहार विधानसभा में सबसे बड़ा दल भाजपा बन जाएगा। अभी बिहार विधानसभा में 79 सीटें राजद के पास हैं, जबकि भाजपा के विधायकों की संख्या 78 है।
हालांकि भाजपा के पास बिहार विधानसभा में सबसे अधिक विधायकों वाला दल बनने का एक और मौका है। क्योंकि तरारी सीट पर भी भाजपा के ही उम्मीदवार के लड़ने की संभावना है। पिछले चुनाव में भाजपा के कौशल विद्यार्थी चुनाव लड़े थे। हालांकि वे तीसरे स्थान पर रहे थे। सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद जीते थे और निर्दलीय नरेंद्र कुमार पांडेय 11 हजार वोटों से पिछड़ कर दूसरे स्थान पर रहे थे।
वैसे राजद के पास भी अपनी पोजीशन होल्ड करने का एक और मौका है। इमामगंज की सीट पर जो उपचुनाव होगा, वहां से राजद का प्रत्याशी होना लगभग तय ही है। 2020 के चुनाव में जीतन राम मांझी ने राजद के उदय नारायण चौधरी को 16 हजार वोटों से हराया था। एक बार फिर राजद का ही उम्मीदवार होना इस सीट पर तय है। ऐसे में अगर यह सीट राजद जीते तो विधानसभा में उसकी बढ़त रह सकती है।