लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार में एनडीए के लिए चिराग पासवान (Chirag Paswan) और उनकी पार्टी लोकजनशक्ति पार्टी रामविलास बेहद ही अहम साबित हुए हैं, आज चिराग एनडीए के सबसे अहम घटक दल बन गए हैं। चिराग पासवान की पार्टी चार महीने पहले बिहार और देश की राजनीति में हाशिए पर चली गई थी। आज ही के दिन तीन साल पहले चिराग पासवान ने एक बड़े सियासी संकट का सामना किया था। उनके चाचा पशुपति पारस ने पार्टी में बगावत करके दो फाड़ कर दी थी। चाचा पशुपति पारस द्वारा बिछाई बिसात में चिराग फंस गए थे और उनके सभी सांसद उनसे छिटक कर चले गए थे।
सबकुछ खोने के बाद नई शुरुआत
चिराग ने आज उस दिन को याद करते हुए बड़ा बयान दिया है। आज दिल्ली में चिराग ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए चिराग ने आज एक बयान में कहा कि 13 जून 2021 को पार्टी टूट गई थी। चिराग पासवान ने कहा है कि इसी वक्त तीन साल पहले न केवल उनकी पार्टी टूटी थी, बल्कि परिवार भी टूट गया। पार्टी का नाम, चुनाव चिन्ह और कार्यालय खोने के बाद हमने एक नई शुरुआत की।
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उन्होंने कहा कि इस बार कई कठिनाइयां थीं और रामविलास पासवान के मार्गदर्शन का अभाव था। इस स्थिति में जो लोग हमारे खिलाफ थे, उनमें से कई हमसे गलती करने का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने यह संदेश फैलाने की कोशिश की कि हमारी पार्टी अपना पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा सकती। हमारे अपने ही कई लोगों ने हमें धोखा देने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि हमें अभी बहुत कुछ हासिल करना है। आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। हमें अतीत से सीखना होगा। आज काफी संघर्ष के बाद हम नई ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं। हमें केंद्रीय मंत्रालय की जो जिम्मेदारी दी गई है, जिसे हमें पूरी निष्ठा से निभाना है।
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चिराग को बीजेपी ने दिया था महत्व
चिराग पासवान ने चाचा से धोखा मिलने के बाद लंबा वक्त अकेले गुजारा लेकिन चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने एनडीए के घटक दल के तौर पर चिराग के चाचा पशुपति पारस को झटका दिया था। बीजेपी ने एनडीए के तहत सीट शेयरिंग में उनके गुट को नहीं, बल्कि चिराग पासवान के एलजेपी (आर) गुट को मान्यता दी थी। एनडीए के तहत ही चिराग गुट को 5 लोकसभा सीटें भी मिली थीं। दिलचस्प यह रहा कि चिराग पासवान गुट के पांचों प्रत्याशी बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए चुनाव जीत गए थे। इसके चलते अल्पमत पाने वाली बीजेपी के लिए चिराग 5 सीटों के साथ अहम भूमिका में आ गए।