सीतामढ़ी के जदयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर साफगोई के चक्कर में बुरे फंसे हैं। एक सभा में ठाकुर ने यादव, मुसलमान और कुशवाहा के निजी कार्य नहीं करने की बात कही। लेकिन उनके इस बयान के बाद से ही बवाल शुरू हो गया। तमाम राजनीतिक दल उनके बयान के खिलाफ हो गए। तो कई नेताओं का देवेश चंद्र ठाकुर को साथ भी मिला। लेकिन देवेश चंद्र ठाकुर के खिलाफ मुजफ्फरपुर सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर किया गया है। परिवाद दायर करने वाले वकील ने कहा है कि ऐसा बयान समाज में अस्थिरता फैलाने वाला है। ठाकुर पर लाखों लोगो को मानसिक आघात पहुंचाने का भी आरोप लगा है।
दरअसल, सांसद बनने के बाद देवेश चंद्र ठाकुर ने खुले मंच से कहा कि वे सबसे अधिक मुसलमान और यादवों के लिए पैरवी करते आए हैं। लेकिन मुसलमानों और यादवों ने उन्हें वोट नहीं दिया। ऐसी ही बात उन्होंने कुशवाहा के लिए भी की। ठाकुर ने आगे कहा कि इन जातियों के लोगों को अगर चुनाव में मेरे ईवीएम के आगे नरेंद्र मोदी का चेहरा दिखा और इन्होंने मुझे वोट नहीं दिया तो मुझे भी हक है कि इनके निजी कार्यों के वक्त मुझे इनमें लालू यादव और लालटेन दिखे और मैं उनके कार्य न करूं। हालांकि देवेश चंद्र ठाकुर ने यह भी कहा कि सार्वजनिक कार्य तो वे करते रहेंगे लेकिन निजी कार्यों में मुसलमान, यादव और कुशवाहा की पैरवी नहीं करेंगे।
जदयू ने सांसद के इस बयान को भावनाओं से जोड़ा था। जबकि गिरिराज सिंह ने ठाकुर के बयान का समर्थन किया था।