मध्य प्रदेश के मशहूर कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra) का पुराना विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ था, कि उन्होंने अब एक नया विवादित बयान दे दिया है। इसे लेकर प्रदीप मिश्रा फिर चित्रकूट की जनता के निशाने पर हैं। उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास के लिए कथित तौर पर ‘गंवार’ शब्द का इस्तेमाल किया है। कथावाचक के इस बयान से बांदा और चित्रकूट में संत समाज आक्रोशित है। चित्रकूट के संतों ने इन्हें विकृत मानसिकता से ग्रसित बताते हुए सबक सिखाने का ऐलान किया है।
राधा रानी पर दिए गए विवादित बयान को लेकर प्रदीप मिश्रा के खिलाफ समूचा ब्रजमंडल सड़क पर आ गया था। प्रदीप मिश्रा के पुतले फूंकने के साथ ही मुकदमे भी दर्ज करवा दिए गए। इसके बाद भी वे एक के बाद एक विवादित बयान देकर सुखिया में बने हुए हैं। राधा रानी के बाद उन्होंने रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास को ‘गंवार’ बता कर एक बार फिर विवादों से नाता जोड़ लिया है।
गोस्वामी तुलसीदास चित्रकूट के राजापुर में जन्मे हैं। तुलसीदास पर दिए गए बयान से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट के संतों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। संतों का कहना है कि गोस्वामी तुलसीदास पर की गई टिप्पणी को वापस लेकर प्रदीप मिश्रा को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
‘हम तुलसीदास जैसे गंवार’
कुबरेश्वर धाम के पंडित प्रदीप मिश्रा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें वह तुलसीदास को गंवार कहते नजर आ रहे हैं। प्रदीप मिश्रा ने कहा कि ‘हमको कुछ नहीं आता, हम तुलसीदास जी की तरह गंवार हैं।’ प्रदीप मिश्रा का यह वीडियो सामने आने के बाद चित्रकूट के संतों में आक्रोश व्याप्त है।
‘गंवार कहना मूर्खतापूर्ण’
चित्रकूट के प्रसिद्ध भगवताचार्य नवलेश दीक्षित जी महाराज कहते हैं कि प्रदीप मिश्रा एक अच्छे शिवकथा वक्ता हैं। उनका यह बयान समझ से परे है। उनका गोस्वामी तुलसीदास जी महराज को ‘गंवार’ कहना मूखर्तापूर्ण है। इससे हम सब सनातनियों के हृदय को आघात पहुंचा है। चित्रकूट के कण-कण में गोस्वामी जी अपनी चौपाईयों के कारण बसते हैं। मिश्रा जी को अपने इस मूर्खतापूर्ण कृत्य के लिए क्षमा मांगनी चाहिये।
‘उनका यह अक्षम्य अपराध है’
लोक अदालत की स्थाई सदस्य रेखा मिश्रा कहती हैं कि कथावाचक प्रदीप मिश्रा पर वृन्दावन के संत प्रेमानंद महराज के श्राप का असर शुरू हो चुका है। इस बार उन्होंने पांच सौ साल पहले श्रीराम के दर्शन करने वाले राम भक्त को टारगेट किया है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि मैं तुलसीदास जैसा गंवार नहीं हूं। प्रदीप मिश्रा ने यह कहकर असभ्यता और पागलपन की सीमा को पार कर दिया है। वे लगातार अक्षम्य अपराध कर रहे हैं। उन्हें क्या मालूम कि श्रीरामचरित मानस के साथ अन्य 16 ग्रंथों की रचना करने वाले जिनको दर्शन देने के लिए स्वयं श्रीराम को कलयुग में आना पड़ा, वे कितने बड़े संत थे।
“चेहरा छूने पर सेंसेशन नहीं महसूस हो तो हो सकता है साइनस कैंसर”
श्री कामदगिरि पीठम के महंत मदन गोपाल दास जी महराज ने कहा कि चित्रकूट की धरती ने ही विश्व भर में श्री राम का नाम गुंजायमान किया है। महर्षि वाल्मीकि और संत तुलसीदास जी जैसी विभूतियों के कारण ही पूरे विश्व में भगवान श्री राम का नाम जाना जाता है। संत तुलसीदास का जन्म राजापुर में हुआ था। संत प्रवर ने यहीं कामदगिरि और रामघाट पर अपनी साधना की थी। उनको पांच वर्ष की अवस्था में स्वामी नरहरि दास जी महराज ने काशी में विद्या प्राप्ति के लिए भेजा। संत तुलसीदास जी महराज ने अपने समय में सर्वोच्च डिग्री प्राप्त की थी। अब उनके खिलाफ ऐसा गलत बयान देकर प्रदीप मिश्रा अपने आपको क्या सिद्ध करना चाहते हैं। उन्हें संत तुलसीदास जी के बारे में क्या मालूम हैं। यहां पर उनके खिलाफ सभी संत सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे।
माफी न मांगने पर बहिष्कार होगा
समाजसेवी अजीत सिंह ने कहा कि चित्रकूट की धरती राम जी की धरती है। इसी धरती पर गोस्वामी बाबा तुलसीदास जी को श्री राम जी के दर्शन हुए थे। प्रदीप मिश्रा को चित्रकूट में आकर सभी से क्षमा मांगनी चाहिये, नहीं तो उनका पूरी तरह से बहिष्कार किया जाएगा।