नेपाल और बिहार में पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश के कारण नदियों का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है। बागमती, लालबकेया, कमला बलान, सोनी, हरदी, मरहा, रातो और कोसी जैसी कई नदियां उफान पर हैं। इन नदियों के बढ़ते जलस्तर से पूर्वी चंपारण, मधुबनी, सीतामढ़ी, सुपौल, पूर्णिया, अररिया और कटिहार जिलों के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
इन नदियों की वजह से बाढ़ की स्थिति:
- पूर्वी चंपारण: बागमती और लालबकेया नदी के जलस्तर में वृद्धि।
- मधुबनी: कमला बलान और सोनी नदियों के जलस्तर में वृद्धि से पूर्वी तटबंध पर खतरा। रातो नदी में अचानक पानी बढ़ने से एनएच 527 सी पथ बाधित।
- सीतामढ़ी: हरदी और मरहा नदी के जलस्तर में वृद्धि। लहुरिया, बारा, बसवरिया, खुरसाहा आदि गांवों में पानी फैल गया। रातो नदी का जलस्तर बढ़ने से चोरौत-पुपरी पथ बाधित और चचरी पुल बह गया।
- सुपौल: कोसी नदी के जलस्तर में 50 हजार क्यूसेक की वृद्धि। कोसी बराज के 36 फाटक खोले गए।
- पूर्णिया: कनकई, महानंदा, परमान और दास नदी उफान पर। तराई में नदियों का पानी फैल रहा है।
- अररिया: पनार नदी में कटान से मदरसा जकीर चौक बेलवा पर खतरा।
- कटिहार: महानंदा, गंगा और कोसी नदियों के जलस्तर में वृद्धि।
- मधेपुरा: लालपुर सरोपट्टी पंचायत में नहर का बांध टूटने से 40 एकड़ फसल बर्बाद।
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स्थानीय प्रशासन द्वारा बचाव कार्य:
बाढ़ प्रभावित इलाकों में बचाव कार्य जारी हैं। NDRF और SDRF की टीमें तैनात की गई हैं। बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री भी वितरित की जा रही है। यह बारिश और बाढ़ से लोगों को भारी परेशानी हो रही है। फसलों को भारी नुकसान हुआ है। घरों और सार्वजनिक संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा है। यह आवश्यक है कि सरकार तुरंत राहत और बचाव कार्य तेज करे और बाढ़ प्रभावित लोगों को हरसंभव मदद पहुंचाए। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।