बिहार में भूमि विवादों को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए सरकार ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। अकेले पटना जिले में दाखिल-खारिज के 78,885 मामले लंबित हैं। इनमें से 30,135 आवेदन 21 दिनों से अधिक समय से और 39,182 आवेदन 63 दिनों से अधिक समय से लंबित हैं।
जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने राजस्व मामलों की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि दाखिल-खारिज एवं परिमार्जन के आवेदनों को निर्धारित समय-सीमा के अंदर निष्पादित करें, अन्यथा अनुशासनात्मक एवं विभागीय कार्रवाई की जाएगी। सभी भूमि सुधार उप समाहर्ताओं को अपने-अपने क्षेत्र के सभी अंचलों का निरीक्षण करने और सरकार के निर्देशों का अक्षरशः पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।
जिलाधिकारी ने कहा कि अधिकारियों को कार्यों में सुधार लाने के लिए 10 दिनों का समय दिया गया है। अगर सुधार नहीं हुआ तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। राजस्व मामलों की साप्ताहिक समीक्षा की जाएगी और जिला-स्तर की टीम बनाकर हर अंचल का निरीक्षण कराया जाएगा। लंबित सबसे पुराने मामलों की समीक्षा की जाएगी और अगर कोई अनियमितता पाई गई तो राजस्व कर्मचारी एवं अंचलाधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों को 90 दिनों से अधिक समय से लंबित अतिक्रमण मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निष्पादित करने का भी निर्देश दिया गया। बैठक में जिलाधिकारी ने दाखिल-खारिज एवं परिमार्जन के आवेदनों की स्थिति, लंबित मामलों के कारण और अन्य मानकों पर गहन समीक्षा की। 20 जून से 08 जुलाई तक दाखिल-खारिज के मामलों में घोसवरी, बिहटा, फतुहा, बिक्रम एवं मोकामा ने अच्छी प्रगति की है, जबकि धनरूआ, मसौढ़ी, दानापुर, नौबतपुर एवं पंडारक का प्रदर्शन खराब रहा है। जिन अंचलों में दाखिल-खारिज के मामलों को अस्वीकृत किया गया है, वहां भूमि सुधार उप समाहर्ता समीक्षा कर प्रतिवेदन देंगे।
जिलाधिकारी ने बताया कि 08 जुलाई तक परिमार्जन के 2,99,757 आवेदनों (97.07 प्रतिशत) को निष्पादित किया गया है। बाकी सभी आवेदनों का समय पर और गुणवत्तापूर्ण निष्पादन करने का आदेश दिया गया है