नीट यूजी पेपर लीक (NEET-UG Paper Leak) मामले में कल यानी 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान काफी सवाल-जवाब हुए। कुछ जवाबों से कोर्ट संतुष्ट दिखा तो कुछ के उत्तर अभी तक नहीं मिले। फिलहाल अगली सुनवाई 22 जुलाई के दिन होगी और तब तक केस में शामिल हर याचिकाकर्ता को अपना पक्ष मजबूत करने के लिए समय मिलेगा। अभी तक आगे बढ़े केस के आधार पर बात करें तो छात्रों की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। परीक्षा कैंसिल होगा या नहीं ये कोर्ट के द्वारा उठाए गए कुछ सवालों के जवाब आने पर ही पता चलेगा।
कोर्ट के तीन बड़े सवाल
कोर्ट का पहला सवाल है कि बड़े स्तर पर पेपर लीक हुआ है, ये साबित हुए बिना परीक्षा रद्द करने की मांग बेकार है। दूसरा – जिसने पेपर लीक किया है उसे पैसा कमाना है, वो नेशनल लेवल पर कोई गड़बड़ी नहीं करेगा। कोर्ट अभी मास लेवल पर पेपर लीक से संतुष्ट नहीं है। तीसरा और सबसे बड़ा सवाल की 45 मिनट के अंदर पेपर लीक होकर कैंडिडेट्स तक पहुंचना अनप्रैक्टिकल लगता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि 7 सॉल्वर थे और सबके हिस्से में 25-25 सवाल आए. पर कोर्ट का कहना है कि 9.30 से 10.15 के बीच पेपर लीक होकर, सॉल्व होकर कैंडिडेट्स तक पहुंच जाए ये हजम नहीं होता। अगर परीक्षा से तीन दिन पहले पेपर लीक हुआ है तो ये मास का सवाल हो सकता है अभी नहीं।
बेंच ने कहा कि अगर ये साबित हो जाए कि पेपर लीक बड़े स्तर पर हुआ है तो ही परीक्षा रद्द करने पर बात आगे बढ़ सकती है। कोर्ट का ये भी कहना है कि जहां कुछ छात्र परीक्षा दोबारा कराने की मांग कर रहे हैं, वहीं बहुत से ऐसा नहीं चाहते। याचिकाओं की बात करें तो 131 छात्र ऐसा चाहते हैं, 254 नहीं चाहते. फिर से परीक्षा चाहने वाले छात्र 1 लाख 8 हजार के अंदर नहीं आते। इतने छात्रों को ही एडमिशन मिलता है क्योंकि सीटें इतनी ही हैं।
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कोर्ट ने 100 टॉप करने वाले छात्रों की जानकारी एनटीए से मांगी। ये किस सेंटर और शहर से हैं ये देखा जाएगा ताकि कोई असमान्य तथ्य सामने आने पर इस पर बात आगे बढ़े। ग्रेस मार्क्स पर बहस छिड़ी तो एनटीए ने कहा कि जब ग्रेस मार्क्स वापस ले लिए गए हैं तो इन सवालों का क्या मतलब। कोर्ट ने कहा कि आंध्र प्रदेश से लेकर बिहार, गुजरात, दिल्ली, यूपी, वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक से टॉपर हैं किसी एक राज्य या सेंटर से नहीं।
कोर्ट में एनटीए ने ये कहा कि छात्र कभी भी अपना सेंटर नहीं चुन सकते ये सिस्टम जनरेटेड होता है। परीक्षा से दो दिन पहले ही सेंटर लिस्ट जारी होती है। कोर्ट ने ये भी पूछा कि क्या संदिग्ध छात्रों में से किसी ने अपना सेंटर बदला? कोर्ट ने पूछा कि कुल कितने छात्रों ने सेंटर बदला और टॉपर कहां से हैं। पेपर कोरियर कंपनी के माध्यम से 571 शहरों में पहुंचने में 9 दिन लगे। एसबीआई और केनरा बैंक में पेपर गए. इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी कोर्ट ने मांगी है।