रांची: झारखण्ड में जैसे जैसे चुनाव कि तारिख नजदीक आ रही है सत्ता पक्ष और विपक्ष के अंदरूनी दलों में सीट के बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो गयी है. राजनितिक दलों के बीच बने गठबंधन में सीट को लेकर गहमागहमी है. बात करें इंडिया गठबंधन की तो जेएमएम 2019 के मुकाबले इस बार अधिक सीटों पर लड़ना चाहता है तो वहीँ कांग्रेस और आरजेडी को भी इस बार पहले से अधिक सीटें चाहिए। इसके साथ ही इंडिया अलायंस में नई नई शामिल तीसरी पार्टी सीपीआई (एमएल) भी कम सीटों पर चुनाव लड़ने को राजी नहीं है। यदि बात करे पिछले बार के चुनाव कि तो साल 2019 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में महागठबंधन जो अब इंडिया ब्लाक है इसमें तीन ही दल थे। पिचली बार माले साथ नहीं था। वहीँ जेएमएम ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
इस चुनाव में उसे 30 सीटों पर जीत मिली, जो 2014 की जीतीं 19 सीटों से 11 अधिक थीं। वहीँ कांग्रेस 31 सीटों पर लड़ कर 16 जीत गई थी। साथ ही आरजेडी ने सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन कामयाबी सिर्फ एक सीट पर मिली थी। इधर सीपीआई (एमएल) ने 14 पर चुनाव लड़ा, लेकिन जीती सिर्फ एक सीट। ऐसे में इस बार के चुनाव में भी गठबंधन के सभी दल अपनी अपनी सीट बढ़ने कि मांग कर रहे और इसे लेकर इनमे खींचतान दिखनी शुरू हो गयी है. बता दें इंडिया गठबंधन की पार्टियों में कांग्रेस इस बार 33 सीटों की मांग कर रही है जो पिछले बार से दो सीट अधिक है। इसे लेकर कांग्रेस का कहना है कि २०१९ में वह 31 सीटों पर लड़ी थी। वहीँ पिछली बार बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व वाले जेवीएम के टिकट पर जीते दो विधायक पार्टी खत्म हो जाने के बाद अब उसके साथ हैं।
इसलिए उसे 33 सीटों से कम नहीं चाहिए। इधर जेएमएम भी पिछली बार लड़ी गईं 41 की जगह इस बार 47 सीटों पर लड़ना चाहता है। इन सबके बीच अबतक आरजेडी की दावेदारी सामने नहीं आई है, लेकिन अनुमान है कि वह भी कम से कम पिछली बार की सात सीटों से कम पर नहीं मानेगा। बात करे इण्डिया अलायंस में नये शामिल हुए सीपीआई (एमएल) कि तो उसने अभी दावा नहीं किया है, परन्तु उसके भी दो-तीन सीटों पर दावे का अनुमान है। बताते चले कि झारखंड विधानसभा में कुल 81 सीटें हैं और इंडिया गठबंधन के सिर्फ दो दलों जेएमएम और कांग्रेस का ही दावा ही 80 सीटों पर है। बाकि बचे आरजेडी और माले जिनको भी सीट चाहिए। ऐसे में सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान होनी तय है. सत्ता पक्ष कि राह इतनी आसान होती नहीं दिख रही.
बात करे एनडीए कि तो झारखण्ड चुनाव में एनडीए में दो ही दल शामिल है भाजपा और आजसू. लोकसभा का चुनाव इन दोनों दलों से साथ मिलकर लड़ा था परन्तु विधानसभा चुना में ये दोनों दल अलग हो गये थे. इसका कर्ण सीट शेयरिंग ही था. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 79 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन सिर्फ 25 सीटों पर ही कामयाबी मिली जो 2014 के मुकाबले 12 सीट कम थी. वहीँ आजसू ने 53 सीटों पर लड़ कर सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई थी। सत्ता के गलियारे से खबर है कि इस बार भी भाजपा पिछली बार से कम सीटों पर लड़ने को तैयार नहीं तो वहीँ आजसू भी 10 से कम सीटों पर मानने को राजी नहीं है। इसके साथ ही यदि इस चुनाव में अगर जेडीयू को भी बिहार की तरह झारखंड में एनडीए का साझीदार बनाया गया तो उसे भी सीटें देनी पड़ेंगी। सम्भावना है कि जेवीएम के भाजपा में विलय के बाद उसकी सीटें भाजपा छोड़ सकती है।
विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली दौड़ शुरू हो गयी है हाल में ही अजसु सुप्रीमो सुदेश महतो दिल्ली में हाजिरी लगा कर लौटे है तो वहीँ कांग्रेस ने भी अपने प्रभारी और प्रदेश स्तरीय नेताओं को दिल्ली तलब किया था। सबके अपने दावे और अपने तर्क है. परन्तु अभी तक सीट बंटवारे को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.