संसद के मानसून सत्र में आज नरेंद्र मोदी सरकार एक बिल लेकर आ सकती है, जिसके जरिए वह वक्फ बोर्ड (Waqf Board) के अधिकारों में संशोधन करेगी। 2 अगस्त को नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में 40 संशोधन किए और उसे मंजूरी दे दी है। वक्फ एक्ट में जो बदलाव लाने का प्रस्ताव है, अगर वे लागू हो जाते हैं तो वक्फ बोर्ड का स्वरूप और उसके अधिकारों पर काफी प्रभाव पड़ेगा। वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक बिल को लेकर बिहार में भी सियासत गरमा गई है। बिहार के मुस्लिम नेता इस बिल को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल नेता शकील अहमद खान ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी देश में शांत माहौल नहीं देखना चाहती। उन्होंने इस बिल को लेकर जदयू, चिराग और मांझी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि खुद को सेक्युलर बताने वाली जदयू हो या रामविलास पासवान की पार्टी या जीतन राम मांझी सभी लोग मुसलमानों के अधिकार की बात आती है तो चुप हो जाते हैं।
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उन्होंने कहा कि वक्फ का मतलब दान होता है। सरकार अल्पसंख्यक पुरखों के दान की जमीन को हड़पना चाहती है। वक्फ बोर्ड दान किए गए जमीन से कई सामाजिक काम चलाते हैं। वक्फ बोर्ड का मतलब दान बोर्ड होता है। अब सरकार इस बोर्ड में संशोधन कर अल्पसंख्यक समाज के सामाजिक सहायता के कार्य को रोकना चाहती है। अल्पसंख्यक समाज को बेइज्जत करने का काम बीजेपी कर रही है।
देश में महंगाई, गरीबी, किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने को लेकर बिल नहीं लाना है। देश में शांति का माहौल बिगड़े ऐसे मुद्दों पर विवाद पैदा करना ही सिर्फ बीजेपी का काम है। जो अल्पसंख्यकों और संविधान को बचाने का दम भरते हैं, अल्पसंख्यक समाज उनसे सवाल पूछ रहा है कि उनके साथ इस देश में ऐसा क्यों हो रहा है। जदयू हो या रामविलास पासवान की पार्टी या जीतन राम मांझी सभी लोग चुप हैं। सभी लोग खुद को सेक्युलर बताते हैं। इस बिल का विरोध विपक्ष पुरजोर तरीके से करेगा और केंद्र का समर्थन नहीं करेगा।