रांची: सारंडा और उसके आसपास के इलाकों में बचे-खुचे नक्सलियों के संपूर्ण सफाया के लिए पुलिस शीघ्र ही अभियान तेज करेगी। इस अभियान को खुफिया सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए राज्य पुलिस मुख्यालय के अधीन स्पेशल ब्रांच की शाखा एसआईबी को सशक्त कर अभियान चलाने पर जोर दिया जाएगा। वहीं इस नक्सल अभियान को लेकर राज्य पुलिस मुख्यालय में 13 अगस्त को डीजीपी अनुराग गुप्ता बैठक करेंगे। बता दें इस बैठक में स्पेशल ब्रांच के अधिकारियों के साथ-साथ सभी रेंज आईजी, प्रक्षेत्रीय डीआईजी और नक्सल प्रभाव वाले जिलों के एसपी मौजूद रहेंगे। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में यह समीक्षा की जाएगी कि अबतक कितने अभियान स्पेशल ब्रांच और एसआईबी की सूचनाओं के आधार पर योजनाबद्ध तरीके से चलाए गए। साथ ही कितने अभियान के दौरान किस तरह की सफलता मिली। इसे अलावे बैठक में टारगेट बेस्ड अभियान को लेकर रणनीति पर चर्चा होगी। बता दें झारखंड के जिलों में नक्सलवाद की स्थिति यह है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने माओवाद प्रभाव व इससे हालिया मुक्त जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा है। पहला वो क्षेत्र जहां सर्वाधिक नक्सल प्रभाव वाले जिलों के अलावा मामूली तौर पर नक्सली रह गए हैं, उन्हें डिस्ट्रिक्ट ऑफ कंसर्न में।
दूसरा वे जिले जो नक्सल मुक्त घोषित होने के बाद भी संगठनों की गतिविधियां जारी हैं, उसे लेग्सी एंड थ्रष्ट डिस्ट्रिक्ट वाले जिलों की श्रेणी में रखा गया है। इधर नक्सलवाद पर नकेल कसते हुए रांची पुलिस ने उग्रवादियों और स्प्लिन्टर्स ग्रुप पर शिकंजे की तैयारी शुरू कर दी है। अब रांची से सटे उग्रवाद प्रभावित जिलों की सीमाओं पर पुलिस पिकेट बनाए जाएंगे। इस पिकेट में केंद्रीय सुरक्षा बल के अलावा रैफ और झारखंड पुलिस को मिलाकर लगभग एक दर्जन जवानों की तैनात रहेगी। इस योजना का प्रस्ताव तैयार कर रांची पुलिस जल्द ही पुलिस मुख्यालय को भेजेगी। मुख्यालय से सहमति मिलते पिकेट खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। बताते चलें कि हाल के दिनों में बढ़ते उग्रवादी और आपराधिक घटनाओं को देखते हुए डीजीपी अनुराग गुप्ता के निर्देश पर रांची पुलिस पिकेट खोलने की तैयारी में जुट गई है। वहीं रांची के डीआईजी अनूप बिरथरे के बताया कि ग्रामीण इलाकों में उग्रवादी घटनाओं को रोकने की योजना तैयार की जा रही है। इसी के तहत रांची से सटे उग्रवाद प्रभावित जिलों की सीमा पर पिकेट का निर्माण जरूरत के हिसाब से किया जाएगा। अभी इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इस प्रस्ताव के अंतर्गत रांची-लोहरदगा सीमा, रांची-चतरा सीमा, रांची-हजारीबाग सीमा और रांची खूंटी सीमा पर पुलिस पिकेट बनाने की तैयारी है। पुलिस अफसरों का मानना है कि पिकेट नजदीक होने पर उग्रवादी घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस वहां तुरंत पहुंच जाएगी। साथ ही घेराबंदी कर उग्रवादियों को पकड़ने में आसानी होगी। वर्तमान हालात में उग्रवादी घटनाओं को अंजाम देने के बाद पुलिस से दूरी का फायदा उठाकर भाग निकलते हैं। वहीं पिकेट के नजदीक होने से ये उग्रवादी सरकार की योजनाओं की साइट पर हमला करने से पहले बार-बार सोचेंगे। पिकेट बनने से उसके रेंज में आने वाले इलाके में उग्रवादी घटनाओं में कमी आएगी। इससे विकास कार्य भी तेजी आएगी।