बिहार की कृषि को एक नई दिशा देने के लिए ऑस्ट्रेलिया और बिहार सरकार के बीच सहयोग की नई शुरुआत हुई है। पटना में कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने ऑस्ट्रेलिया के महावाणिज्यदूत ह्यूग बॉयलान से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई।
ऑस्ट्रेलिया बिहार को कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग देगा। इनमें सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली, कोल्ड चेन तकनीक, जैव विविधता संरक्षण, कृषि उत्पादों का निर्यात और पशुपालन प्रमुख हैं। ऑस्ट्रेलिया के पास कृषि अनुसंधान का लंबा अनुभव है और वे बिहार को अपनी विशेषज्ञता प्रदान करेंगे।
बिहार के लिए क्या होगा फायदा?
- सूक्ष्म सिंचाई: ऑस्ट्रेलिया की आधुनिक सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से बिहार में पानी की बर्बादी कम होगी और किसानों को सिंचाई में काफी सुविधा होगी।
- कोल्ड चेन: कोल्ड चेन तकनीक से बिहार के कृषि उत्पादों को लंबे समय तक ताजा रखा जा सकेगा और उन्हें दूर-दराज के बाजारों में बेचा जा सकेगा।
- जैव विविधता: ऑस्ट्रेलिया की मदद से बिहार में जैव विविधता को संरक्षित किया जा सकेगा और किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
- निर्यात: ऑस्ट्रेलिया के सहयोग से बिहार के कृषि उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचाया जा सकेगा।
- पशुपालन: ऑस्ट्रेलिया की मदद से बिहार में पशुपालन के क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आय बढ़ेगी।
विशेष फसलों पर ध्यान
ऑस्ट्रेलिया बिहार की कुछ खास फसलों जैसे लीची, मखाना और मक्का के उत्पादन को बढ़ाने में भी मदद करेगा। ऑस्ट्रेलिया के पास इन फसलों के उत्पादन और प्रसंस्करण का काफी अनुभव है। वे बिहार को बीज, उन्नत खेती की तकनीक और मार्केटिंग में मदद करेंगे।
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मंत्री ने क्या कहा?
कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के साथ यह सहयोग बिहार की कृषि के लिए एक नया अध्याय होगा। उन्होंने कहा कि इस सहयोग से बिहार के किसानों की आय बढ़ेगी और राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
आगे का रास्ता
अब दोनों देशों के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इस समझौते के बाद दोनों देश मिलकर बिहार में कृषि के विकास के लिए काम करेंगे। यह सहयोग बिहार के किसानों के लिए एक बड़ी उम्मीद है। इससे बिहार की कृषि न केवल आत्मनिर्भर बनेगी बल्कि देश की कृषि में भी एक अहम योगदान देगी।