पटना के महात्मा गांधी नगर निवासी डॉ. पुर्णेन्दु शंकर का खाता कंकड़बाग शाखा के आईसीआईसीआई बैंक में था, जहां उन्होंने इंटरनेट बैंकिंग का विकल्प चुना। बैंक ने उन्हें एक पासवर्ड प्रदान किया और आश्वासन दिया कि अगर पासवर्ड का उपयोग नहीं किया गया, तो वह अमान्य हो जाएगा।
98,980 रुपये का फर्जी लेन-देन
हालांकि, 27 और 28 अगस्त 2008 को डॉ. शंकर के खाते से धोखाधड़ी कर 98,980 रुपये एग्जीबिशन रोड शाखा के एचडीएफसी बैंक में अमित कुमार नामक व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए। जब डॉ. शंकर ने बैंक से पैसे वापस करने की मांग की, तो बैंक ने इसे ठुकरा दिया।
उपभोक्ता आयोग का फैसला
जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष प्रेम रंजन मिश्र और सदस्य रजनीश कुमार ने मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुनाया। आयोग ने पाया कि बैंक ने अपनी सेवा में कमी की है और धोखाधड़ी के लेन-देन पर कोई उचित दस्तावेज पेश नहीं किया।
मुआवजे का आदेश
आयोग ने बैंक को 12 फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ 1.15 लाख रुपये, डॉ. शंकर को 50 हजार रुपये मानसिक पीड़ा के मुआवजे के रूप में और 20 हजार रुपये मुकदमे की लागत के रूप में 90 दिनों के भीतर भुगतान करने का आदेश दिया है।