प्रशांत किशोर ने तेजस्वी पर हमला करते हुए कहा कि राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद जी ने ही पत्र लिख कर अपने कार्यकर्ताओं और नेताओ से कहा कि आप जन सुराज में शामिल न हों। तेजस्वी यादव द्वारा दिए गए बयान का मतलब यह है कि वे खुद अपनी ही पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर सवाल उठा रहे हैं। यदि वे कह रहे हैं कि राजद के लोग पैसा लेकर जन सुराज में जा रहे हैं, तो इसका मतलब यह है कि वे खुद अपनी पार्टी के सदस्यों की नीयत पर शक कर रहे हैं। ये तो तेजस्वी की राजनीतिक नादानी दिखाता है कि वो अपने ही कार्यकर्ताओं को बिका हुआ बता रहे हैं। यह साफ जाहिर होता है कि केवल पिता जी की राजनीतिक विरासत मिल जाने से कोई बिहार का राजनेता नहीं बन जाता है। लालटेन से किरासन तेल निकलने के डर से तेजस्वी बौखलाए हुए हैं।
आगे प्रशांत किशोर ने कहा कि राजनीति में ऐसे बयान अक्सर विरोधियों को कमजोर दिखाने के लिए दिए जाते हैं, लेकिन कभी-कभी ये खुद की पार्टी में असंतोष और अव्यवस्था का संकेत भी दे देते हैं। इससे यह भी साफ़ होता है कि जन सुराज आंदोलन की तरफ से राजद को एक चुनौती महसूस हो रही है। तेजस्वी यादव के बयान से यह प्रतीत होता है कि वे जन सुराज की बढ़ती लोकप्रियता से चिंतित हो गए है इसलिए वे इसे रोकने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं।
प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा है कि तेजस्वी यादवच ने पढ़ाई-लिखाई नहीं की। उनके बाबू जी की राजनीति का दुकान था, तो उस पर बैठ गए हैं। लेकिन बात नहीं बन रही है तो अपने ही नेताओं को गाली दे रहें हैं।