केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने हाल ही में एक विवादित बयान देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। अपने बयान में उन्होंने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर में इनकी सरकार बनती है, तो वे राज्य को पाकिस्तान से मिलाने का प्रयास करेंगे। यह बयान उस समय आया जब राजनीतिक पार्टियां आगामी चुनावों के लिए तैयारियों में जुटी हुई हैं।
कांग्रेस पर सत्ता के लिए आतंकी संगठन से हाथ मिलाने का आरोप
मांझी ने अपने बयान में यह भी कहा कि कांग्रेस सत्ता प्राप्त करने के लिए हिजबुल जैसे आतंकी संगठनों से भी गठजोड़ कर सकती है। उन्होंने यह टिप्पणी कांग्रेस के बारे में सोशल मीडिया पर भी की थी, जहां उन्होंने कहा था कि कांग्रेस पार्टी चुनाव जीतने के लिए पाकिस्तान और हिजबुल के साथ गठबंधन कर सकती है। मांझी के इस बयान ने राजनीतिक माहौल को और भी गर्मा दिया है, खासकर ऐसे समय में जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की चर्चा हो रही है।
अब्दुल्ला और कांग्रेस के गठबंधन पर सवाल
मांझी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अब्दुल्ला पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनकी नीतियों पर हमेशा से संदेह रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का अब्दुल्ला के साथ गठबंधन करना यह दर्शाता है कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में फिर से अनुच्छेद 370 को लागू करने की मंशा रखती है। इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि मांझी कांग्रेस और उसके सहयोगियों पर कड़ा प्रहार कर रहे हैं, जिसे उन्होंने एनडीए का अभिमत भी बताया।
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर चिंता
मांझी ने अपने बयान में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की सरकार बदलने के बावजूद वहां हिन्दुओं पर अत्याचार जारी हैं और उन पर लाठियां बरसाई जा रही हैं। मांझी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि अगर कश्मीर और बांग्लादेश को भारत में पूरी तरह से शामिल कर लिया गया होता, तो आज की परिस्थितियाँ अलग होतीं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और विवाद
मांझी के इस बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे गैर-जिम्मेदाराना और विभाजनकारी बताया है, जबकि समर्थकों ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मुद्दा करार दिया है। मांझी के इस बयान से जम्मू-कश्मीर के आगामी चुनावों में एक नया मोड़ आ सकता है, जहां राजनीतिक दलों की नीतियों और गठबंधनों पर गहरी नजर रखी जा रही है