रांची: डीजीपी अनुराग गुप्ता की ओर से सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को पत्र जारी कर कहा गया है कि अगर कोई भी साइबर क्राइम, एसटी-एससी, मानव तस्करी और महिला अपराध से जुड़े मामले को लेकर किसी भी थाना में पहुंचता है। तो उसी थाना में फौरन प्राथमिकी दर्ज करनी होगी। इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि बेशक, महिला अपराध और साइबर क्राइम के लिए अलग से थाने बने हैं। परंतु इसका यह मतलब नहीं कि इससे जुड़े मामले उन्हीं थानों में दर्ज हों। इस पत्र में डीजीपी ने लिखा है कि अक्सर जानकारी मिलती है कि शिकायत दर्ज कराने के लिए आम लोग जब थाना पहुंचते हैं तो थाना प्रभारी और मुंशी के स्तर पर रसीद प्राप्ति भी नहीं दी जाती है।
शकायत ले कर आए लोगों से अच्छा व्यवहार नहीं होता है। लिहाजा, आम लोगों को भटकाने की जानकारी मिलते ही संबंधित थाना प्रभारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी है। वहीं इसे लेकर भारतीय न्याय संहिता -173 के प्रावधान का हवाला देते हुए डीजीपी ने कहा है कि अपराध किए गए क्षेत्र पर विचार किए बिना, थाना प्रभारी को प्राथमिकी दर्ज करनी है। अगर कोई थाना प्रभारी ऐसा नहीं करता है तो उसे कानून का उल्लंघन माना जाएगा। डीजीपी ने सभी डीआईजी और पुलिस अधीक्षकों को यह सुनिश्चित कराने को कहा है कि अगर थाना स्तर पर बात नहीं सुनी जा रही है तो भुक्तभोगी अपनी शिकायत दर्ज करा लें। यह भी निर्देशित किया गया है कि जिस थाने में फरियादी के साथ दुर्व्यवहार होता है तो संबंधित पुलिसकर्मी को चिन्हित कर उसे वहां तो फौरन हटा दिया जाए। पुलिस को यह बात ध्यान में रखना है कि वे जनता के सेवक और सुरक्षाकर्मी हैं ना कि मालिक। अपने पत्र में डीजीपी ने झारखंड की पुलिस व्यवस्था को दुरूस्त करने की ओर पत्र जारी कर आम लोगों के लिए पुलिस की सेवा को आसान बना दिया है।