नयी दिल्ली: बांग्लादेश की नयी अंतरिम सरकार के भारत विरोधी सुर चर्चा का विषय बने हुए हैं। एक के बाद एक भारत विरोधि बयानों ने भारत बांग्लादेश की राजनीतिक संबंधों में खटास लानी शुरू कर दी है। मोहम्मद युनुस पहले ही भारत विरोधी माने जाने है। ऐसे मं उनकी सरकार जिया खालिद की सरकार की तरह ही पाकिस्तान समर्थित अधिक दिखाई दे रही है। ये बात किसी से छिपी नहीं है। वहीं अब इस बीच बांग्लादेश में चीन की एंट्री भारत के लिए अलर्ट की सूचना हो सकती है। बता दें आजकल भारत का धुर विरोधी मुल्क चीन बांग्लादेश से नजदीकियां बढ़ा रहा है। बता दें चीन ने राजदूत याओ वेन ने जिया खालिदा की पार्टी जमात ए इस्लामी के दफ्तर जाकर पार्टी प्रमुख शफीकुर रहमान से मुलाकात की है। हालांकि चीन इसे शिष्टाचार मुलाकात बता रहा किंतु ये महज शिष्टाचार भेंट नही दिख रहा।
बता दें 2010 में जमात के खिलाफ युद्ध अपराधों का मुकदमा शुरू होने के बाद पहली बार किसी राजनयिक ने ढाका स्थित जमात-ए-इस्लामी के दफ्तर का दौरा किया है। क्योंकि पुलिस ने 2011 में जमात का दफ्तर सील कर दिया था लेकिन हसीना सरकार की बेदखली के बाद इसे फिर से खोल दिया गया है। ये अहम है कि चीन के मन में क्या चल रहा इसको ध्यान में रखा जाए। वहीं इस मुलाकात के दौरान चीनी राजदूत ने उनकी सरकार की प्रशंसा काते हुए उन्हें सुव्यवस्थित पार्टी करार दिया है। वहीं चीन ने कहा कि वो बांग्लादेश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है। ये भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। क्योंकि इस मैत्री के पीछे चीन की कुटिल रणनीति है। इसका कारण बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति है। बता दें बांग्लादेश भारत से सटा हुआ देश है वहीं उसकी दक्षिणी सीमा बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
चीन अपनी सामरिक शक्ति के विस्तार हेतु बांग्लादेश का उपयोग करना चाहता है। पहले भी मालदीव के जरिए पहले ही वह हिन्द महासागर में अपनी रणनीतिक मौजूदगी मजबूत कर चुका है। इसके साथ ही चीन म्यांमार के साथ दोस्ती कर अपना हित साध चुका है। बता दें म्यांमार के ग्रेट कोको द्वीप पर चीन का सैन्य अड्डा बना चुका है। चीन का यह मिलिट्री बेस भारत के अंडमान निकोबार द्वीप से मात्र 55 किमी की दूरी पर है। इससे हिंद महासागर में न सिफ चीन का मिलीट्री बेस मजबूत होगा बल्कि कोको द्वीप के नजदीक स्थित मलक्का स्ट्रेट की जरिए व्यापारिक मार्ग पर भी चीन अपना प्रभुत्व स्थपित कर सकेगा।
बता दें यह दुनिया का सबसे व्यस्ततम व्यापारिक मार्ग है। प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के बीच के जल-मार्ग में स्थित होने के कारण इसका अंतरराष्ट्रीय महत्व अधिक है। वहीं शेख हसीना को भारत में पनाह देने के कारण और पाकिस्तान प्रेमी पाटी की सत्ता में आने के बाद से भारत और बांग्लादेश के बीच कई संधियों के खत्म होने की आशंका जताई जा रही है। देखा जाए तो अबतक बांग्लादेश की ओर से ऐसे किसी MoUs के बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। शेख हसीना को लेकर अंतरिम सरकार ने साफ किया है कि अगर कानूनी रूप से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस लाना जरूरी होता है, तो प्रत्यर्पण की कोशिश की जाएगी। इधर बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर पूर्व में हस्ताक्षर किए हुए कुछ समझौते मुल्क के लिए गैर फायदेमंद पाए जाते हैं, तो अंतरिम सरकार उनकी समीक्षा कर सकती है या कैंसिल भी कर सकती है। हालांकि, इसे लेकर अब तक अंतरिम सरकार की ओर से आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।