झारखंड में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव पास आता जा रहा है, वैसे-वैसे सीएम हेमंत सोरेन और पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर दिया है। एक तरह जहां चंपाई सोरेन अपमानित करने का आरोप लगा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ हेमंत सोरेन साजिश के तहत जेल भेजने की बात कह रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं, आखिर दोनों में से किसका पलड़ा भारी है।
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के पहले पूरी राजनीति हेमंत सोरेन और चंपाई सोरेन के ईर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है। पॉलिटिक्स एक्सपर्ट कहते हैं कि अभी कुछ दिन पहले ही चंपाई सोरेन अपने पैतृक गांव जिलिंगगोड़ा की नब्ज टटोलकर लौटे हैं, बहुत हद तक उन्होंने सरायकेला सीट को सुरक्षित कर लिया है। लोग उनके बीजेपी में आ जाने से खुश नजर आ रहे हैं। वहीं हेमंत सोरेन की 5 महीने जेल में रहने वाली घटना की जमीनी स्तर पर कोई खास चर्चा नहीं है, हालांकि हेमंत की मंईयां सम्मान योजना आदिवासी महिलाओं के बीच प्लस प्वाइंट जरूर है।
इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि चुनाव को अपने पाले में लाने के लिए हेमंत हों या चंपाई, कोई विक्टिम कार्ड खेलना में पीछे नहीं हट रहा। हाल ही में को गुवा गोलीकांड के बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए दोनों नेता सिंहभूम पहुंचे थे, जहां हेमंत ने कहा था कि ‘अपने बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस लड़ाई को छोड़कर अलग राह पर चले गए’, वहीं चंपाई ने कहा था कि ‘कांग्रेस कभी आदिवासियों के हित में नहीं रही, झारखंड में आदिवासियों को कोई पार्टी बचा सकती है तो वह सिर्फ भाजपा है।’
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि चंपाई आदिवासी समाज के सेंटीमेंट को भलीभांति समझते हैं, इसलिए वे आदिवासियों की बदहाली के लिए कांग्रेस पर हमला बोल रहे हैं। इतना साफ है कि राज्य के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान होगा तो भाजपा को फायदा मिलेगा। यही वजह है कि चंपाई कांग्रेस के खिलाफ नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं हेमंत सोरेन ये कहकर वोर्टर्स को अपने पक्ष में ला रहे हैं कि ‘बीजेपी एक महाजनी पार्टी है, जो आदिवासियों की दुश्मन है।’
कुल मिलाकर दोनों ही नेता विक्टिम कार्ड वाली राजनीति खेलकर दूसरी पार्टी के मतदाताओं को अपनी ओर खींचने में जुटे हुए हैं। इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव में एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला होना है। एनडीए में भाजपा, आजसू, जदयू और एनसीपी (अजित पवार गुट) है तो इंडिया गठबंधन में झामुमो, कांग्रेस, राजद और भाकपा माले शामिल हैं। हालांकि अभी सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं हुआ है।