शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रांची में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर की 100वीं वर्षगांठ में शामिल हुई, इस दौरान उन्होंने किसान की आय बढ़ाने के लिए सेकेंडरी एग्रीकल्चर की गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार एवं विकास और किसानों की सहायता के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। कृषि आधारित उद्योगों के विकास, एफपीओ और पैक्स जैसे संगठनों के विस्तार दुनिया के सबसे बड़ी भंडारण योजना पर काम, प्राकृतिक खेती के विकास और सप्लाई चैन को सशक्त करने की दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है।’
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि ‘किसानों को अभी और सशक्त बनाने के लिए मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, कृषि पर्यटन सहित अन्य सेकेंडरी एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने की जरूरत है। 21वीं सदी में हमारे देश में कृषि क्षेत्र में तीन बड़ी चुनौतियां जिसमें खाद्य पोषण और संरक्षण को बनाए रखना, संसाधनों का सस्टेनेबल इस्तेमाल सुनिश्चित करना और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कदम उठाना है। इन चुनौतियों का सामना करने में सेकेंडरी एग्रीकल्चर काफी मददगार साबित हो सकता है।’
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ‘किसानों को प्राथमिक खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन और कृषि पर्यटन जैसी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया जाए तो उन्हें आमदनी बढ़ाने के लिए गांव से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ सेकेंडरी एग्रीकल्चर ने लाह फार्मिंग, वैज्ञानिक तरीके से इसके उत्पादन और संस्करण में सराहनीय काम किया है। झारखंड का राज्यपाल रहते हुए भी मुझे यहां आने का मौका मिला, इस दौरान मैंने पाया कि लाह संस्थान ने किसानों को प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाया है। देश में लाह का 55% उत्पादन झारखंड में होता है और इससे सबसे ज्यादा जनजाति समुदाय के किसान जुड़े हैं, यह संस्थान उनका जीवन सुधारने में मददगार बन रहा है।’
राष्ट्रपति ने कहा कि ‘आज फार्मास्यूटिकल और कॉस्मेटिक उद्योग में उच्च गुणवत्ता वाले लाह की डिमांड है, उम्मीद है कि यह संस्थान इस दिशा में काम करेगा। इससे लाह उत्पादन करने वाले किसानों की आय में भी वृद्धि हो गई।’