रांची: झारखंड चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने फिलहाल दो बड़े दल आमने सामने हैं। ईंडिया गठबंधन जिसमें जेएमएम कांग्रेस राजद व अन्य शामिल है वहीं दूसरी ओर एनडीए एलायंस है जिसमें भाजपा, लोजपा, आजसू, जदयू आदि पार्टी शामिल है। अबतक झारखंड में वोट का ध्रुवीकरण इन्हीं दोनों पोल पर दिखता था पर अब इसबार एक तीसरे मोर्चे के सामने आने की भी खबर है। जी हां, जैसा ककि आपको मालूम है कि झारखण्ड मे विधानसभा चुनाव करीब आ चूका है और अब से कुछ ही दिनों मे आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। ऐसे में इससे झारखंड की राजनीति में एक तीसरा विकल्प उभर कर सामने आया है। बता दें इस तीसरे मोर्चे में 10 राजनितिक दल एक ही बैनर तले चुनाव लड़ने का एलान किया है। वहीं तीसरे मोर्चा का नाम जनमत दिया गया है।
इसके तहत झारखण्ड मुक्ति मोर्चा उलगुलान, झारखण्ड पिपल्स पार्टी, झारखण्ड पार्टी -होरो, आर.पी.आई – अम्बेडकर, लोक जन समाज पार्टी – भारत, राष्ट्रीय जनक्रांति मोर्चा, बहुजन मुक्ति पार्टी, अखिल भारतीय मानव सेवा दल, आदर्श संग्राम पार्टी एवं भारगीदारी पार्टी इस तीसरे मोर्चा मे शामिल है। बता दें इनके द्वारा अब तक झारखण्ड मे 41 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा भी की जा चुकी है, जिसमे जेपीपी के खाते मे पांच सीट जिसमे पोटका व घाटशीला सीट से पूर्व विधायक सह जेपीपी सुप्रीमो सूर्य सिंह बेसरा उम्मीदवार होंगे। एक वार्ता के दौरान बेसरा कहा कि झारखण्ड राज्य को पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही मिलकर लूटने का कार्य किया है, राज्य मे लगातार आदिवासी मुख्यमंत्री रहे लेकिन आज तक आदिवासियों का विकास नहीं हो पाया, राज्य मे लूट, भ्रष्टाचार, अपराध चरम सीमा पर है लेकिन इसपर सरकार का नियंत्रण नहीं है, ऐसे मे अब राज्य की जनता को तीसरा विकल्प के रूप मे जनमत मिल रहा है, जो राज्य का सर्वांगीन विकास करने मे सक्षम है।
वहीँ वार्ता के उपरांत बड़ी संख्या मे आजाद समाज पार्टी एवं झामुमो का दामन छोड़कर युवाओं ने जेपीपी का दामन थामा। जमशेदपुर मे श्रम संगठनों का संयुक्त मंच द्वारा श्रम कानूनों मे किये गए बदलाव को वापस लिए जाने की मांग को लेकर देश भर मे काला दिवस मनाया गया, इनके द्वारा इसके विरोध मे एक रैली भी निकाली गई, बता दें आज ही के दिन चार वर्ष पूर्व चार श्रम कोड लागु किये गए थे और तब से लगातार श्रम संगठनों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है, यूनियन के सदस्य बिस्वजीत देब ने बताया की आज चार वर्षो से मजदूर अपने आप को ठगे हुए महसूस कर रहें हैँ, न्यूनतम मजदूरी, आठ घंटे का काम, 26 हजार न्यूनतम वेतन जैसे मांगो को लेकर तमाम श्रम संगठन आंदोलनरत है, और ज़ब तक मजदूरों को न्याय नहीं मिल जाता तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।