झारखंड की हेमंत सरकार ने 7 जिलों और 25 ब्लॉकों में गरिमा परियोजना शुरुआत की है, इस योजना के तहत अब तक 2600 पीड़ितों को बचाकर पुनर्वास कराया गया है। दरअसल झारखंड में जादूटोना और अंधविश्वास के खिलाफ सरकार ने महिलाओं की जिंदगी बदलने की दिशा में गरिमा प्रोजेक्ट शुरू किया है।
जानकार बताते हैं कि ‘जादू-टोना, अंधविश्वास और गहरी जड़ें जमा चुकी पितृसत्तात्मक प्रथा, जिसकी वजह से महिलाओं पर अत्याचार किए जाते थे। कई बार महिलाओं को दुर्भाग्य पैदा करने का झूठा आरोप लगाया जाता था, उन्हें डायन और बिसाही बताया जाता था। कई बार इन्हीं आरोपों की वजह से लोगों की जान चली जाती थी या वे अपने ही घर को छोड़कर दूसरे शहरों में बसने के लिए मजबूर हो जाते थे। इसी के चलते अब झारखंड की झामुमो सरकार पीड़ित महिलाओं को साइकोलॉजिकल सपोर्ट दे रही है।’
जेएसएलपीएस के सीईओ मंजूनाथ भजंत्री ने बताया कि ‘यह गरिमा केंद्र पुलिस स्टेशन और वहां के अन्य सामाजिक व्यक्ति हैं, उनसे संपर्क करके इसे रोकने का प्रयास करते हैं।’ पीड़ित महिलाओं का कहना है कि ‘गांव में अगर किसी के बीमार या मौत होने, किसी को बच्चा ना होने की घटना होती थी तो उन्हें आरोपी बनाया जाता था। इसके बाद सभी के सामने शर्मिंदा किया जाता था, लेकिन अब घर में केंद्र से उनकी जिंदगी बदल रही है।’एक अन्य पीड़ित महिला का कहना है कि ‘पहले गांव में मुझे डायन बोला जाता था, जिसके बाद मैं घर छोड़कर रांची में रहने लगी। जब से गरिमा केंद्र से जुड़ी हूं, तब से अब मुझे कोई भी डायन या बिसाही नहीं बोलता।’