झारखंड में चुनावी सुगबुगाहट के बीच नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं, बीजेपी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी, पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा और पूर्व सीएम चंपाई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा सरकार पर हमला कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ झामुमो के हेमंत सोरेन, मरांडी, मुंडा और चंपाई को छोड़कर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर निशाना साध रहे हैं।
दरअसल बीजेपी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को झारखंड चुनाव का सह प्रभारी बनाया है, इसी के चलते वे लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं। पिछले महीने उन्होंने हेमंत सोरेन पर हमला किया तो हेमंत ने उन्हें बाहरी बताते हुए घेरना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं हेमंत सोरेन ने इस बात का भी जिक्र किया है कि ‘हिमंता संवेदनशील राज्य असम के मुख्यमंत्री हैं और उनके बार-बार झारखंड आने से प्रोटोकॉल लागू करना पड़ता है, जिसमें पैसे खर्च होते हैं।’
पॉलिटिकल एक्सपर्ट बताते हैं कि ‘हेमंत सोरेन, हिमंता बिस्वा सरमा को टारगेट कर बैकफुट पर धकेलाना चाहते हैं, क्योंकि हिमंता हर डिविजन के लिए अलग-अलग प्लान तैयार कर रहे हैं। संथाल में उन्होंने डेमोग्राफी को बड़ा मुद्दा बनाया, कोल्हान में जेएमएम के भीतर ही सेंध लगा दिया। इसके अलावा हिमंता लगातार नाराज नेताओं को भी साध रहे हैं। हिमंता के जरिए हेमंत सोरेन झारखंड को लोगों को गोलबंद करना चाहते हैं, 2019 में इसी गोलबंदी के सहारे उन्होंने बीजेपी की मजबूत सरकार को उखाड़ दिया था ऐसे में वे फिर से आदिवासियों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में जो उन्होंने पीएम को पत्र लिखा है, उसमें संथाल, ओरांव और मुंडा समेत आदिवासियों के 4 समुदाय को असम में आरक्षण देने की मांग की है।’
बता दें कि इस साल के आखिरी में झारखंड विधानसभा की 81 सीटों पर चुनाव प्रस्तावित है, हाल ही में चुनाव आयोग ने तैयारियों की समीक्षा की है। प्रदेश में मुख्य मुकाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन के बीच है। झारखंड में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी या गठबंधन को कम से कम 42 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी, 24 साल पहले बिहार से अलग होकर बने झारखंड में अब तक झामुमो के 3 और बीजेपी के 3 मुख्यमंत्री बने हैं।