[Team insider] झारखंड सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 91,270 करोड़ रुपये का बजट सदन में पेश किया था। इसके बाद अभी तक दो अनुपूरक बजट भी पेश किया जा चुका है। वार्षिक बजट को ही सामने रखकर खर्च का हिसाब-किताब देखें तो सरकार 30 जनवरी 2022 तक बजट की 43.20 फीसदी राशि ही खर्च पायी है। 31 मार्च 2022 के पहले सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती है। बजट की खर्च हुई राशि को देखें तो स्कूली शिक्षा, ऊर्जा, जल संसाधन, परिवहन, उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में पचास फीसदी से ऊपर की राशि खर्च हुई है।
अगले 2 महीनों में 57% राशि की होगी बंदरबांट
वहीं इस पर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने राज्य सरकार पर मार्च लूट का आरोप लगाया है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने कहा कि केंद्र से हमेशा कम फंड आने का आरोप लगाने वाली राज्य सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले 10 महीनों में राज्य के बजट की राशि का सिर्फ 43% खर्च किया है। यानी अगले 2 महीनों में 57% राशि की बंदरबांट होगी। तो क्या हम मार्च लूट की ओर नहीं बढ़ रहे है?
मार्च लूट की आदत भाजपा सरकार को लगी हुई है
इसके जवाब में कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि मार्च लूट की आदत भाजपा सरकार को लगी हुई है। देश और राज्य की जनता ने यह पूरी अच्छी तरह से देखी है। स्वाभाविक तौर पर राज्य सरकार की जो जनकल्याणकारी योजनाएं हैं वह कोराना काल को लेकर के स्थगित हो गई थी। अगर मार्च लूट की बात होती तो यह राशि बैंक से निकल गई होती लेकिन ऐसा तो नहीं है। लेकिन बैंक में ही राशि जमा है, इसलिए इसे हम मार्च लूट की नहीं कह सकते हैं।