जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने हाई कोर्ट में विशेष अदालत के फैसले को चुनौती दी है। उन्होंने आज शनिवार को कहा कि 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट (ahmedabad serial blast) के फैसले को हाई कोर्ट में विशेष अदालत के फैसले को चुनौती दी जाएगी। अरशद मदनी ने हाई कोर्ट में विशेष अदालत के फैसले को अविश्वसनीय करार दिया। बता दें कि गुजरात की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को 2008 के अहमदाबाद सीरियल बम विस्फोट मामले में 49 में से 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी।
जाने-माने वकील कानूनी लड़ाई लड़ेंगे
मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम सजा के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे और कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे। उन्होंने कहा कि दोषियों को फांसी से बचाने के लिए देश के जाने-माने वकील कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हमें यकीन है कि इन लोगों को उच्च न्यायालय से पूर्ण न्याय मिलेगा। कई मामलों में निचली अदालतों द्वारा दोषी ठहराए गए दोषियों को उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय ने बरी कर दिया है।
गुजरात पुलिस को फटकार लगाई
2002 के अक्षरधाम मंदिर हमले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि निचली अदालत ने मुफ्ती अब्दुल कय्यूम सहित तीन को मौत की सजा सुनाई और चार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। जिसे गुजरात उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा। जब मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचा तो सभी लोगों को बरी कर दिया गया और अदालत ने बम विस्फोटों में निर्दोष लोगों को फंसाने की झूठी साजिश रचने के लिए गुजरात पुलिस को फटकार भी लगाई थी।
मौत की सजा और उम्रकैद से भी बचा पाएंगे
जमीयत द्वारा लड़े गए पुराने मुकदमों का जिक्र करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि जिन 11 आरोपियों को निचली अदालतों और उच्च न्यायालयों ने पहले मौत की सजा सुनाई थी। उनके बाद संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ा और एक भी आरोपी को मौत की सजा नहीं दी गई। मौलाना मदनी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले के आरोपियों को मौत की सजा और उम्रकैद से भी बचा पाएंगे। गौरतलब है कि 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में 21 बम विस्फोट हुए थे। जिसमें 56 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। वहीं इस्लामिक आतंकी समूह हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी ने हमलों की जिम्मेदारी ली थी।