रांची: झारखंड में चुनाव की घोषणा के बाद निर्वाचन आयोग ने डीजीपी अनुराग गुप्ता समेत और भी अधिकारियों को हटाने पर विचार किया है। आयोग का यह कदम आगामी चुनावों की पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार को किसी भी समय इस संबंध में आयोग द्वारा आधिकारिक घोषणा की जा सकती है। मालूम हो कि झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग के विरुद्ध चल रही जांच के मामले इसकी वजह हैं। विवादों में रहे 1990 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी अनुराग गुप्ता को वर्ष 2019 में भी आरोपों के कारण चुनाव कार्य से अलग रखने का आदेश दिया गया था। वहीं हाल ही में झारखंड हाई कोर्ट ने कोलकाता कैश कांड में डीजीपी अनुराग गुप्ता की भूमिका की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं।
हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता राजीव कुमार की रिश्वत की रकम के साथ कोलकाता में गिरफ्तारी में गुप्ता की भूमिका को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इसके साथ ही ईडी ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि राजीव कुमार को रिश्वत का प्रलोभन देकर कोलकाता बुलाने और वहां पुलिस के हाथों गिरफ्तार करा देने के पीछे बड़ी साजिश रची गई थी। अनुराग गुप्ता के विरुद्ध इसी तरह का एक अन्य मामला राज्यसभा हॉर्स ट्रेडिंग से संबंधित है। वर्ष 2016 में गुप्ता पर आरोप लगा था कि उन्होंने भाजपा के पक्ष में वोट के लिए बड़कागांव की तत्कालीन कांग्रेस विधायक निर्मला देवी को प्रलोभन दिया था।
इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रेस सलाहकार अजय कुमार भी आरोपित हैं। डीजीपी के अलावा आईएएस मंजूनाथ भजंत्री भी चुनाव कार्य से हटाए जा सकते हैं। देवघर के उपायुक्त पद पर रहने के दौरान उनके विरुद्ध गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी। इसके साथ ही इन्हे रोची उपायुक्त रहते हुए भाजपा ने विरोध दर्ज किया था। बता ते चलें कि इस फैसले के पीछे चुनाव आयोग की चिंता है कि अधिकारियों के कार्यों का चुनावी माहौल पर प्रभाव पड़ सकता है। चुनाव आयोग की बैठक में यह मामला गंभीरता से चर्चा में है और इसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। वहीं चुनाव आयोग के इस कदम को लेकर राजनीतिक हलकों में अटकलें तेज हो गई हैं। यह निर्णय झारखंड की राजनीति में हलचल पैदा कर सकता है। सभी की निगाहें अब इस महत्वपूर्ण फैसले पर टिकी हुई हैं।