रांची: बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट से है जहां राज्य की हेमंत सरकार के द्वारा उच्चतम न्ययालय में दायर एलएसपी को कोर्ट ने बेवजह बिनमतलब का करार दिया है। न सिर्फ करार दिया है बल्कि इसे लेकर हेमंत सरकार पर एक लाख रूपये का हर्जाना भी मुकर्रर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि झारखंड सरकार तुच्छ मामलों में भी एसएलपी दायर करके कोर्ट का समय बर्बाद करती है और कोर्ट इस से परेशान हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार पर 1 लाख का फाइन लगाया और यह भी कहा कि वह इस बात पर विचार करें कि जिन अधिकारियों की वजह से ऐसे एसएलपी दायर होते हैं ये पैसा उनसे वसूला जाए। वहीं इसे लेकर भाजपा ने सरकार को घेरा है बाबूलाल मरांडी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर सरकार और उनके अधिकारियों पर आरोप लगाया है अपने एक्स एकाउंट से पोस्ट का उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, इस विषय को गंभीरता से लीजिये।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करिए। जिन अधिकारियों ने दुर्भावना से ग्रस्त होकर ऐसे एसएलपी दायर किये हैं, सरकार का वक्त और ग़रीबों की गाढ़ी कमाई का पैसा बर्बाद किया है, उनसे बिना विलंब इस पैसे की वसूली करवाईये। और हाँ, याद रहे कि राज्य में भाजपा की सरकार बनते ही दुर्भावना ग्रस्त होकर बिना सोचे समझे किये गये ऐसे मामलों, जिनमें एसलपी में पराजय हुआ है, उसके लिये दोषी अधिकारियों को चिन्हित करवा कर उनसे एसलपी में हुए सरकारी पैसे के खर्चे की वसूली करवाई जायेगी। वहीं भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने भी अपने एक्स हैंडल से सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और आदेश को प्रेषित कर लिखा कि झारखंड सरकार पर बेवजह एसएलपी दायर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 1,00,000 का फाइन लगाया।
सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि झारखंड सरकार frivolous मामलों में भी एसएलपी दायर करके कोर्ट का समय बर्बाद करती है और कोर्ट इस से परेशान हो चुकी है।सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार पर 1 लाख का फाइन लगाया और यह भी कहा कि वह इस बात पर विचार करें कि जिन अधिकारियों की वजह से ऐसे एसएलपी दायर होते हैं ये पैसा उनसे वसूला जाए। क्या अब भी झारखंड सरकार सबक लेगी या अधिकारियों को बचाने के लिए हर मामलों में वह महंगे महंगे वकील करके सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाती ही रहेगी?