झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मंत्री लुईस मरांडी ने भाजपा उपाध्यक्ष समेत पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, इसी के साथ उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को भेजे इस्तीफे में कहा है कि ‘मैंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भाजपा से ही की है, आज 24 साल बीतने को हैं। इस कालखंड में हमने कई उचार-चढ़ाव देखे, संघर्ष के रास्तों पर चल कर पार्टी की अनवरत सेवा करती रही। 2014 में पार्टी ने मुझे दुमका विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा, तब पहला मौका था जब दुमका सीट पर देश की आजादी के बाद पहली बार भाजपा जीती थी। लेकिन वर्तमान दौर में मुझे यह लगातार महसूस हो रहा है कि पार्टी के निष्ठावान व समर्पित कार्यकर्ता को दरकिनार करने की साजिश तेज हुई है।’
लुईस मरांडी ने आगे कहा कि ‘अन्य दल से आए लोग हावी दिखते हैं, पार्टी के अंदर गुटबाजी चरम पर पहुंच गयी है। इसका नतीजा है कि दुमका सीट पर एक बार जीत दर्ज करने के बाद भाजपा को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। संगठन में अनुशासन की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं, समर्पित कार्यकर्ताओं की निष्ठा पर शक किया जा रहा है।’
पूर्व मंत्री लुईस मरांडी ने कहा कि ‘लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन ने जिस तरीके से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर मुझ जैसे निष्ठावान कार्यकर्ता पर छल प्रपंच व विश्वासघात का आरोप लगाया गया, वह पार्टी के अंदर तेजी से फैल रही अराजकता को दर्शाता है। मुझे 2024 के विधानसभा चुनाव में दुमका सीट से तैयारी करने व चुनाव लड़ने का हरसंभव भरोसा दिया गया, लेकिन महिलाओं को मान सम्मान देने वाली भाजपा के शीर्ष नेतृत्व किस वजह से एक महिला को टिकट से वंचित रखा, यह समझ से परे है।’