झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के मद्देनज़र भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने जीत के फॉर्मूले को तैयार कर लिया है, जिसमें कुछ प्रमुख सीटों पर विशेष ध्यान दिया गया है। भाजपा का मुख्य फोकस उन सीटों पर है, जहां पिछले चुनाव में पार्टी कम मार्जिन से हारी थी। इन सीटों को जीतने से BJP को राज्य में सरकार बनाने की दिशा में बड़ा फायदा हो सकता है, क्योंकि इन सीटों पर हार का अंतर बहुत कम था और भाजपा इन सीटों पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए रणनीतिक रूप से काम कर रही है।
BJP की जीत की रणनीति
भाजपा ने 9 विशेष सीटों पर अपनी जीत की रणनीति बनाई है, जिनका चुनावी गणित पिछले चुनाव में विपरीत था, लेकिन इस बार BJP इस गलती को न दोहराने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। इन 9 सीटों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है:
नाला (Nala)
- हार का अंतर: 3520 वोट
- विपक्ष: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने इस सीट पर जीत हासिल की थी।
जामा (Jama)
- हार का अंतर: 2426 वोट
- विपक्ष: झामुमो ने यहां भाजपा को हराया था।
जरमुंडी (Jarmundi)
- हार का अंतर: 3099 वोट
- विपक्ष: कांग्रेस ने इस सीट पर भाजपा को हराया था।
कोडरमा (Koderma)
- हार का अंतर: BJP ने यह सीट जीती थी, लेकिन दूसरे स्थान पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के उम्मीदवार थे, जो गठबंधन के तहत थे। इस बार भाजपा को इस सीट पर एक मजबूत जीत चाहिए।
गोड्डा (Godda)
- हार का अंतर: BJP ने यहां जीत हासिल की थी, लेकिन यहां भी RJD का उम्मीदवार दूसरे स्थान पर था।
मांडू (Mandu)
- हार का अंतर: BJP यहां हार गई थी, जबकि आजसू पार्टी के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर थे।
बाघमारा (Baghmara)
- हार का अंतर: BJP यहां हार गई थी और कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की थी।
सिमडेगा (Simdega)
- हार का अंतर: 285 वोट
- विपक्ष: कांग्रेस के उम्मीदवार ने BJP को केवल 285 वोटों से हराया था, जो इस सीट पर भाजपा के लिए एक अहम चुनौती है।
देवघर (Deoghar)
- हार का अंतर: BJP ने देवघर सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन यहां भी RJD ने दूसरी पोजीशन हासिल की थी।
BJP ने इन सीटों को जीतने के लिए कई रणनीतिक कदम उठाए हैं:
- शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा को इन सीटों पर खास जिम्मेदारी दी गई है। दोनों नेताओं के चुनावी अनुभव और संगठनात्मक कौशल से भाजपा को अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिल सकती है।
- बाबूलाल मरांडी को भी इन सीटों पर पिछली हार को जीत में बदलने के लिए पूरी छूट दी गई है। उनका आदिवासी वोट बैंक को लेकर मजबूत पकड़ है, और भाजपा इन सीटों पर आदिवासी मुद्दों पर ध्यान दे रही है।
- आदिवासी वोट बैंक: भाजपा ने आदिवासियों के लिए आरक्षित 28 सीटों में से जिन 26 सीटों पर हार का सामना किया था, उन पर विशेष ध्यान दिया है। इनमें से प्रमुख सीटें मनोहरपुर, मझगांव, चक्रधरपुर, खरसावां, घाटशिला, सिमडेगा और कोलेबिरा हैं। भाजपा ने आदिवासी समुदाय के मुद्दों पर जोर देते हुए इन सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत करने की योजना बनाई है।
- विपक्षियों को चक्रव्यूह में फंसा सकती है भाजपा: भाजपा का यह चुनावी फॉर्मूला विपक्षी दलों के लिए एक चक्रव्यूह की तरह हो सकता है, खासकर उन सीटों पर जहां भाजपा ने कम मार्जिन से हार का सामना किया था। भाजपा अपने मजबूत संगठन, जनसंपर्क और उम्मीदवारों के चयन पर विशेष ध्यान दे रही है, ताकि विपक्षी दलों के लिए जीत हासिल करना मुश्किल हो।
BJP का रणनीतिक फॉर्मूला यह दिखाता है कि पार्टी पिछली हार से सीखते हुए इस बार अपनी ताकत बढ़ाने के लिए गंभीर है। यदि भाजपा इन 9 सीटों पर अपनी रणनीति को सही तरीके से लागू करती है, तो वह राज्य में अपनी सत्ता को मजबूत करने में सफल हो सकती है। विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों पर पार्टी का ध्यान केंद्रित करना एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। विपक्षी दलों के लिए यह चुनावी चक्रव्यूह फंसने जैसा हो सकता है, यदि भाजपा की यह रणनीति सही साबित होती है।