झारखंड विधानसभा चुनाव के बीच भाजपा के गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार बनने पर मदरसा डिग्रीधारी लोगों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा। इसके बाद उन स्थानों पर लगभग 50,000 झारखंड के युवाओं को नौकरी दी जाएगी। निशिकांत दुबे ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि “सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आलिम, फाजिल और कामिल मदरसा डिग्रीधारी लोगों को भाजपा सरकार झारखंड में बनते ही नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा। अब लगभग 50,000 झारखंड के युवाओं को अलग से नौकरी मिलेगी। मदरसा के द्वारा स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की डिग्री असंवैधानिक है।”
यह बयान सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के संदर्भ में है, जिसमें 2004 के उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए मदरसों द्वारा जारी ‘फाजिल’ (स्नातक) और ‘कामिल’ (स्नातकोत्तर) डिग्रियों को असंवैधानिक करार दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि इन डिग्रियों को मान्यता देने वाले प्रावधान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के कानून के खिलाफ हैं, और इसलिए ये असंवैधानिक हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्यों को शैक्षिक मानकों और गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए नियामक कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन यह अल्पसंख्यक संस्थानों के प्रबंधन पर लागू नहीं होता है। निशिकांत दूबे का यह राजनीतिक बयान झारखंड विधानसभा चुनावों के दौरान एक नई बहस को जन्म दे सकता है और विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे का लाभ उठाने के प्रयास में होंगे।