छठ महापर्व के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया। इसके बाद कोसी भरे जाने की परंपरा है। घाट से लौटने वाले व्रती अपने घर में कोसी भरते हैं। जबकि कई व्रती घाट पर रात भर रहते हैं और वे वहीं कोसी भरते हैं। छठ पूजा में कोसी भरने का बहुत महत्व है।
आपको बता दें, छठ पूजा में खरना के बाद अगले दिन सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य देने का महत्व है। उसके बाद घर आकर परिवार के सभी लोग एकत्रित होते हैं, फिर गन्ने से घेरा बनाकर कोसी भरी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कोसी भराई मन्नत का प्रतीक है। अगर किसी दंपत्ति को संतान नहीं है, तो छठ पूजा का व्रत बेहद शुभ फलदायी माना जाता है।
वहीं जब भक्तों की पूरी हो जाती है, तो पूरे परिवार के सुखी जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के लिए कोसी भरते हैं। कोसी मुख्य रूप से भक्त अपने घर के छत पर या फिर घाट के किनारे भी करते हैं।