झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 38 सीटों के लिए 20 नवंबर को वोटिंग होने जा रही है और यह चरण राज्य की सियासी तस्वीर को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इन सीटों पर मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और इंडिया गठबंधन (जो मुख्य रूप से झारखंड मुक्ति मोर्चा – JMM और कांग्रेस का गठबंधन है) के बीच है।
प्रमुख सीटें और सियासी समीकरण:
- बाबूलाल मरांडी : बाबूलाल मरांडी की प्रतिष्ठा भी इस चुनावी चरण से जुड़ी हुई है। वे चुनावी रण में बीजेपी की ओर से बड़ी उम्मीदों के साथ मैदान में हैं। मरांडी धनवार सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
- हेमंत सोरेन : वह इस चरण में अपनी सीट पर चुनावी संघर्ष में हैं। सोरेन के लिए यह चुनावी जंग सिर्फ एक सीट बचाने की नहीं, बल्कि अपनी पार्टी की सियासी प्रतिष्ठा बनाए रखने की भी है। हेमंत सोरेन बरहेट सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
- कल्पना सोरेन : झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्टार प्रचारक और हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी प्रचारक के रूप में सक्रिय हैं और उनकी भूमिका राज्य के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कल्पना उपचुनाव में जीत के बाद गांडेय सीट से मैदान में हैं।
- सुदेश महतो : सुदेश महतो को झारखंड की राजनीति में एक सशक्त आवाज के रूप में जाना जाता है, और उनकी पार्टी AJSU ने पहले भी सरकारों के साथ गठबंधन किया है। सिल्ली सीट पर उनकी प्रतिष्ठा और चुनावी ताकत का सीधा असर राज्य की राजनीति पर पड़ता है।
- जयराम महतो : झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) का चुनावी फोकस इस बार डुमरी और बेरमो सीटों पर है, जहां जयराम महतो खुद उम्मीदवार हैं।
20 नवंबर को झारखंड की 38 सीटों पर मतदान होगा, जिनमें से 28 सीटों पर सीधा मुकाबला एनडीए और इंडी गठबंधन के बीच है। इसके अलावा, 10 सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति है और कुछ सीटों पर मुकाबला बहुकोणीय भी हो सकता है। इस चरण में चुनावी दौड़ में प्रमुख राजनीतिक दिग्गजों की अग्नि परीक्षा होगी, जिनमें हेमंत सोरेन, बाबूलाल मरांडी**, लोबिन हेम्ब्रम, हेमलाल मुर्मू, स्टीफन मरांडी, रबिन्द्रनाथ महतो और सीता सोरेन शामिल हैं। इसके अलावा बसंत सोरेन, लुईस मरांडी, बादल, हफीजुल हसन, रणधीर सिंह, प्रदीप यादव, दीपिका पांडेय सिंह, कल्पना सोरेन, अमर बाउरी, पूर्णिमा नीरज सिंह और सुदेश महतो भी इस चुनावी रण में शामिल हैं।
सीटों का समीकरण:
- एनडीए (बीजेपी और इसके सहयोगी दल) और इंडी गठबंधन (मुख्य रूप से कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा) के बीच सीधा मुकाबला है।
- इन 38 सीटों में से कुछ सीटें ऐसी हैं जहां क्षेत्रीय मुद्दे, आदिवासी और पिछड़ी जातियों के बीच गठबंधन, और स्थानीय नेताओं का समर्थन निर्णायक हो सकता है।
- इस चरण में कुल 38 सीटों में आदिवासी और अनुसूचित जाति के वोटर्स का बड़ा योगदान होगा और स्थानीय मुद्दों के आधार पर गठबंधन अपनी ताकत दिखा सकता है।