झारखंड की कोयला राजधानी धनबाद की झरिया विधानसभा सीट इस बार फिर एक सियासी लड़ाई का केंद्र बन चुकी है, जो पिछले कई वर्षों से माफिया, गैंगवार और वर्चस्व की राजनीति के कारण चर्चित रही है। यह सीट इस बार भी एक ही परिवार की दो बहुओं के बीच चुनावी मुकाबला बन चुकी है, जो परिवार के अंदर की दरार और राजनीति की अदृश्य लड़ाई को उजागर करती है। झरिया विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस की मौजूदा विधायक पूर्णिमा सिंह और बीजेपी की उम्मीदवार रागिनी सिंह के बीच मुकाबला है। पूर्णिमा सिंह, जो कांग्रेस के नेता नीरज सिंह की पत्नी हैं, 2019 में रागिनी सिंह को पांच हजार से अधिक वोटों से हराकर विधायक बनी थीं।
सिंह परिवार का सियासी इतिहास
सिंह परिवार का झरिया सीट पर लंबे समय से दबदबा रहा है। सूर्यदेव सिंह, जो 1977 से 1991 तक झरिया से विधायक रहे, इस परिवार के प्रमुख सदस्य थे। उन्होंने अपने समय में धनबाद की राजनीति पर गहरी छाप छोड़ी थी। लेकिन 2009 के बाद, परिवार में संपत्ति और सियासी विरासत को लेकर संघर्ष शुरू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप परिवार दो हिस्सों में बंट गया — सिंह मेंशन और रघुकुल। यह दरार अब झरिया विधानसभा की राजनीति में साफ नजर आ रही है।
नीरज और संजीव की सियासी विरासत
नीरज सिंह और संजीव सिंह के बीच 2014 में चुनावी मुकाबला हुआ था, जो संजीव सिंह के पक्ष में रहा। नीरज सिंह की हत्या 2017 में माफिया द्वारा की गई, और इस हत्याकांड का आरोप उनके चचेरे भाई संजीव सिंह पर लगा, जो अब जेल में हैं। नीरज की मौत के बाद उनकी पत्नी पूर्णिमा सिंह ने राजनीति में कदम रखा और अब वह झरिया सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। वहीं, संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं।
पूर्णिमा सिंह इस बार झरिया को “माफिया और गैंगवार” की राजनीति से दूर करने की बात कर रही हैं। उनका कहना है कि झरिया के अग्नि प्रभावित इलाकों में बसे लोगों का विस्थापन ससम्मान किया जाएगा और इस प्रक्रिया में किसी तरह की जबरदस्ती नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि झरिया में विकास के लिए उन्होंने कई योजनाओं का शिलान्यास किया है और अगले पांच वर्षों में इन कार्यों को पूरा किया जाएगा।
पूर्णिमा सिंह ने अपने चुनावी अभियान में भय और दहशत की राजनीति को खत्म करने का वादा किया है। उन्होंने कहा, “झरिया को अब माफिया की राजनीति और हत्या की राजनीति से बाहर निकालना है। हम विकास के एजेंडे के साथ लोगों के पास जाएंगे और उन्हें सच्चे प्रतिनिधित्व का विश्वास दिलाएंगे।”
वहीं, रागिनी सिंह ने भी इस बार बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में अपने प्रचार अभियान को तेज किया है। उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ रही हैं और इस बार उनका उद्देश्य झरिया में विकास और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।