नयी दिल्ली: संसद में शीतकालीन सत्र का आरंभ आज से हो गया। सत्र के पहले दिन ही भारी हंगामें के कारण सभा को स्थगित करना पड़ा। बता दें 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र में विचार के लिए लिए वक्फ (संशोधन) विधेयक सहित 16 विधेयकों की सूची तैयार की है। इस सत्र में केंद्र सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने की कोशिश भी करेगी। वहीं आज शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले रविवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक भी हुई। जिसमें विपक्ष की तरफ से मणिपुर हिंसा और प्रदूषण समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग की। वहीं आज राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के कारण सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी। इसके साथ ही मंगलवार को संविधान दिवस के कारण सदन की कार्यवाही नहीं होगी। अब बुधवार को सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होगी। सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही 11.45 बजे शुरू हुई थी।
बता दें संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले PM मोदी ने कहा, 2024 का ये अंतिम कालखंड चल रहा है। देश पूरे उमंग और उत्साह के साथ 2025 के स्वागत की तैयारी में भी लगा है। संसद का ये सत्र अनेक प्रकार से विशेष है। सबसे बड़ी बात है हमारे संविधान के 75 साल की यात्रा, 75वें साल में उसका प्रवेश लोकतंत्र के लिए बहुत ही उज्ज्वल अवसर है। कल संविधान सत्र में हम सब मिलकर संविधान के 75वें वर्ष के उत्सव की शुरुआत करेंगे। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले PM मोदी ने कहा, संसद में स्वस्थ चर्चा हो, ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा में अपना योगदान दें। दुर्भाग्य से कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जिनको जनता ने अस्वीकार किया है, वे संसद को भी मुट्ठी भर लोगों की हुड़दंगबाजी से नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। देश की जनता उनसे सारे व्यवहारों को गिनती है और समय आने पर सजा भी देती है।
लेकिन दुख की बात है कि नए सांसदों के अधिकारों को कुछ लोग दबोच देते हैं। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले PM मोदी ने कहा, “पुरानी पीढ़ी का काम है आने वालीपीढ़ियों को तैयार करें। लेकिन 80-90 बार जिनको जनता ने नकार दिया है वे न संसद में चर्चा होने देते हैं न लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं। न वो लोगों के प्रति अपना दायित्व समझ पाते हैं। वे जनता की उम्मीदों पर कभी भी खरे नहीं उतरते। जनता को उन्हें बार-बार नकारना पड़ रहा है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत की संसद से भी वो संदेश जाना चाहिए कि भारत के मतदाता उनका लोकतंत्र के प्रति समर्पण, उनका संविधान के प्रति समर्पण, संसदीय कार्यपद्धति पर विश्वास, संसद में बैठे हुए हम सबको जनता जनार्दन की भावनाओं पर खरा उतरना ही पड़ेगा।
हम अबतक जितना समय गंवा चुके हैं उसका थोड़ा पश्चाताप करें, हम बहुत ही तंदुरुस्त तरीके से हर विषय के अनेक पहलुओं को संसद भवन में हम उजागर करें, आने वाली पीढ़िया भी पढ़ेगी उसको, उससे प्रेरणा लेगी। मैं आशा करता हूं कि ये सत्र बहुत ही परिणामकारी हो। संविधान के 75वें वर्ष की शान को बढ़ाने वाला है, भारत की वैश्विक गरिमा को बल देने वाला हो, नए सांसदों को अवसर देने वाला हो, नए विचारों का स्वागत करने वाला हो। इसी भावना के साथ उमंग और उत्साह के साथ इस सत्र को आगे बढ़ाने के लिए निमंत्रित करता हूं, स्वागत करता हूं।