झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद राजनीतिक समीकरण एकदम से बदल गए हैं। भाजपा की बड़ी हार ने पार्टी की स्थिति को एक्सपोज कर दिया है। तो दूसरी ओर महतो जाति का नेता बनने का तमगा हासिल कर चुके सुदेश महतो की राजनीतिक जमीन अचानक से खिसक गई है। सुदेश महतो न सिर्फ अपनी सीट सिल्ली से चुनाव हार गए हैं बल्कि महतो नेता के रूप में उनकी पहचान भी अब खतरे में आ गए हैं। हालांकि सुदेश महतो के पास अभी भी एक ऑफर है, जो उनके विधानसभा पहुंचने का रास्ता बना सकती है। लेकिन इस रास्ते पर जो पुल है वो कमजोर सा है।
दरअसल, सुदेश महतो झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में सिल्ली से 23 हजार से अधिक वोटों से चुनाव हारे। उन्हें JMM के अमित महतो ने हराया। लेकिन इस हार का बड़ा कारण JLKM रही, जिसके उम्मीदवार देवेंद्र नाथ महतो ने 41 हजार से अधिक वोट लाकर तीसरा स्थान हासिल किया। ऐसे में अब सुदेश महतो के झारखंड में महतो नेता के ताज को जयराम से न सिर्फ सीधी चुनौती मिली है बल्कि यह माना जा रहा है कि जयराम ने महतो नेता होने का तमगा सुदेश महतो से छीन लिया है। तो दूसरी ओर जेएमएम के उम्मीदवार ने सिल्ली में सुदेश महतो को हराकर उनके विधानसभा का एंट्री पास छीना।
हालांकि मांडू के नवनिर्वाचित आजसू विधायक निर्मल महतो उर्फ तिवारी महतो ने कहा है कि वे स्वेच्छा से अपनी विधानसभा सीट को पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो के लिए छोड़ने के लिए तैयार हैं। इस संबंध में तिवारी महतो ने पार्टी प्रमुख सुदेश महतो को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्होंने यह प्रस्ताव रखा है कि मांडू से सुदेश महतो को विधानसभा भेजने का काम करें और उन्हें विधानसभा में जनता की आवाज़ उठाने का अवसर दें।
निर्मल महतो ने अपने कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि वे जल्द ही इस्तीफा देंगे और इसके लिए चुनाव की तैयारी में जुट जाएं। साथ ही उन्होंने कहा कि “हार-जीत अलग बात है, लेकिन सुदेश महतो हमेशा जनता की आवाज रहे हैं।” उनके मुताबिक, यह निर्णय मांडू की जनता, सुदेश महतो और चंद्रप्रकाश चौधरी के समर्थन के कारण लिया गया है। तिवारी महतो ने यह भी स्पष्ट किया कि वे आज जो कुछ भी हैं, वह मांडू की जनता और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के कारण ही संभव हो सका है। हालांकि तिवारी महतो की छोड़ी सीट पर सुदेश महतो की जीत कितनी आसान है, यह वक्त बताएगा। क्योंकि तिवारी महतो खुद सिर्फ 231 वोटों से चुनाव जीते हैं।