रांची: झारखंड चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है। बाबूलाल मरांडी ने चुनाव परिणाम आने के बाद केंद्रीय नेतृत्व को अपनी भावनाओं से अवगत कराते हुए पद से मुक्त करने का आग्रह किया। वहीं बाबूलाल के इस पेशकश को केंद्रीय नेतृत्व ने अस्वीकार कर दिया है। पार्टी नेतृत्व का कहना है कि विधानसभा चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ा गया था, ऐसे में किसी एक व्यक्ति विशेष के इस्तीफे का औचित्य नहीं है। इधर बाबूलाल मरांडी ने अपने ट्वीअर हैंडल से झारखंड की जनता के नाम पोस्ट कर कहा है कि आगे भी वो झारखंड में हो रहे घुसपैठ के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहेंगे।
उन्होने लिखा है कि मेरे भाइयों एवं माताओं- बहनों, मैंने पहले भी कहा है और हमेशा इसी बात पर अडिग रहूंगा कि बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा मेरे लिए केवल एक चुनावी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह मेरे समुदाय के अस्तित्व, उनकी पहचान और उनके भविष्य का प्रश्न है। झारखंड के मेरे आदिवासी भाई बहनों की भूमि, उनकी संस्कृति, सभ्यता और अधिकारों पर हो रहे हमले को मैं कभी भी चुपचाप नहीं देख सकता हूं। घुसपैठ की समस्या अब सिर्फ़ संताल परगना तक ही सीमित नहीं रह गई है, बल्कि बांग्लादेशी, रोहिंग्या घुसपैठ समस्या झारखंड में पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण, शहर- क़स्बे से लेकर सुदूर ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों तक फैल गई है इसलिए एक संताल होने के नाते, मेरा यह प्रथम कर्तव्य बनता है कि मैं अपने लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहूं और उनके संघर्ष में सहभागी बनकर अधिकारों एवं संस्कृति की रक्षा करने में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दूं।
भारतीय जनता पार्टी का एक सच्चा सिपाही और कार्यकर्ता होने के नाते मेरे विचार स्पष्ट और दृढ़ हैं- चुनाव परिणाम चाहे जो भी हों, हम अपने लोगों के अधिकारों और हितों के लिए संघर्ष करना कभी नहीं छोड़ सकते, इसलिए मैं अपना संपूर्ण समय और ऊर्जा अपने लोगों को जागरूक करने और उन्हें सशक्त बनाने में लगाऊंगा, ताकि कोई भी हमारी जल जंगल जमीन की तरफ अपनी आंख उठाकर भी न देख सके। यह संघर्ष केवल वर्तमान के लिए नहीं है, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने का प्रयास है। मैं आप लोगों से वादा करता हूं कि इस संघर्ष में मैं कभी पीछे नहीं हटूंगा, कभी हार नहीं मानूंगा। हमारा रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन हमारी इच्छाशक्ति अडिग है। हमारा संघर्ष सिर्फ अधिकारों की रक्षा भर का नहीं, बल्कि सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा का भी है, इसलिए अस्तित्व की इस लड़ाई में, मैं आखिरी सांस तक आप लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ते हुए आपके बीच खड़ा मिलूंगा।