जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने अपने शुरुआती पदयात्रा में स्पष्ट किया था कि जन सुराज का मुख्य उद्देश्य बिहार का विकास है। इसी क्रम में वे अक्सर सरकार से सीधे सवाल करते हैं और उसकी विफलताओं को आम जनता के समक्ष लाने का प्रयास करते हैं।
प्रशांत किशोर ने अपने बयान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उनकी नीतियों और प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, कोई ऐसी खबर बताइए कि नीतीश कुमार केंद्र सरकार से बात करने गए हों कि बिहार में चीनी मिल कब चालू होगी। मुख्यमंत्री केवल जेडीयू की सीटों के बंटवारे, एमएलसी टिकट और राज्यसभा की चर्चा के लिए दिल्ली में दो-दो दिन बैठते हैं। लेकिन बिहार के बच्चों का पलायन कैसे रोका जाए, इस पर 18–19 साल में कोई वर्कशॉप, कोई बैठक, कोई प्रयास नहीं किया गया है।
प्रशांत किशोर ने आगे कहा, जब तक प्रयास शुरू नहीं होंगे, तब तक कुछ नहीं बदलेगा। लेकिन यहाँ तो सरकार प्रयास ही नहीं कर रही। नेता हंसते हुए कहते हैं कि अगर बिहार के लोग दिल्ली और मुंबई नहीं जाएंगे, तो वहां की व्यवस्था ठप हो जाएगी। यह कोई गर्व की बात नहीं है।
उन्होंने बिहार के लोगों की स्थिति पर जोड़ डालते हुए कहा, हमारे भाई-बंधु दिल्ली और मुंबई में कूड़ा-कचरा साफ कर रहे हैं, ठेले पर सब्जी बेच रहे हैं, ये कोई गर्व की बात नहीं हैं। यह गर्व की बात तब होती जब बिहार के लड़के यहां गया या औरंगाबाद में सब्जी उगाते और ट्रेन से दिल्ली भेजते। तब हम गर्व से कहते कि अगर बिहारियों को गाली दोगे तो सब्जी की आपूर्ति बंद हो जाएंगी, तब दिल्ली में समस्या खड़ी हो जाएगी। लेकिन यहाँ के नेताओं की मानसिकता देखिए, वे इसे गर्व की बात मानते हैं कि बिहारी मजदूर दिल्ली में सफाई और मजदूरी का काम कर रहे हैं।