बिहार सरकार ने बेतिया राज की विशाल संपत्ति पर कब्जा कर लिया है, जो अब राज्य के अधीन आ गई है। यह संपत्ति बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फैली हुई है, और इसमें लगभग 15,000 एकड़ जमीन शामिल है, जिसकी कीमत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी जा रही है। इस भूमि पर लाखों लोग अवैध रूप से कब्जा किए हुए हैं, जिन्हें हटाने का जिम्मा राजस्व पर्षद के अध्यक्ष केके पाठक को सौंपा गया है।
बेतिया राज कभी बिहार के सबसे बड़े जमींदारों में से एक था, लेकिन अब यह इतिहास के पन्नों में समा चुका है। बेतिया राज के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह का निधन 1893 में हुआ था और उनकी कोई संतान नहीं थी। इसके बाद, अंग्रेजों ने 1897 में उनकी पत्नी महारानी जानकी कुंवर को राजपाट संभालने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। बेतिया राज की संपत्ति को कोर्ट ऑफ वार्ड्स एक्ट 1879 के तहत सरकार के अधीन रखा गया था और आजादी के बाद यह जमीन बिहार सरकार के राजस्व पर्षद के नियंत्रण में आ गई।
राजस्व पर्षद के अध्यक्ष केके पाठक ने हाल ही में बेतिया राज की जमीन पर अवैध कब्जे का खाता तैयार किया है। अब तक की जांच में पूर्वी और पश्चिमी चंपारण जिलों में लगभग 3,600 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा पाया गया है। इस संपत्ति पर करीब 11,600 अतिक्रमणकारियों की पहचान की गई है, जिनमें से 8,528 लोगों के खिलाफ अतिक्रमण का केस दर्ज किया गया है। मोतिहारी जिले में 2,647 अतिक्रमणकारियों की पहचान हुई है, जिनमें से 1,230 लोगों को नोटिस भेजे गए हैं।
राजस्व पर्षद के अध्यक्ष केके पाठक ने जिलाधिकारियों से बैठक कर अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों को प्राथमिकी दर्ज करने और आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। इस जमीन से कब्जा हटाने की कार्रवाई किसी भी समय शुरू हो सकती है।
बेतिया राज की संपत्ति पर सरकार के कब्जे के बाद बिहार विधानमंडल में भारी हंगामा हुआ। विपक्ष ने इस कदम का विरोध किया और सदन का बहिष्कार किया। सिकटा से CPI-ML विधायक बीरेंद्र गुप्ता ने इसे ‘काला कानून’ बताते हुए आरोप लगाया कि इस कानून के तहत लाखों लोग बेघर हो जाएंगे, क्योंकि ये लोग 1885 के बाद से इस जमीन पर बसे हुए हैं। हालांकि, राजस्व और भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि सरकार जल्द ही जमीन की सूची जारी करेगी और लोगों से आपत्तियां मांगी जाएंगी, जिन्हें सुनकर निवारण किया जाएगा।
राजस्व और भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि इस नए कदम से राज्य सरकार को बेतिया राज की जमीन का बेहतर उपयोग करने की ताकत मिल गई है। अब राज्य सरकार इन जमीनों का उपयोग सामुदायिक कल्याणकारी योजनाओं के लिए भी कर सकती है।
बेतिया राज की जमीन बिहार और उत्तर प्रदेश में कई जिलों में फैली हुई है। बिहार के पश्चिमी चंपारण में 9,758 एकड़, पूर्वी चंपारण में 5,320 एकड़, सिवान में 7.29 एकड़, गोपालगंज में 35.58 एकड़, पटना में 4.81 एकड़ और सारण में 88.41 एकड़ जमीन है। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 61.16 एकड़, गोरखपुर में 50.92 एकड़, वाराणसी में 10.31 एकड़, प्रयागराज में 4.54 एकड़, बस्ती में 6.31 एकड़, अयोध्या में 1.86 एकड़, महाराजगंज में 7.53 एकड़ और मिर्जापुर में 0.91 एकड़ जमीन शामिल है।