कहते हैं राजनीति में कोई किसी का स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता। बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार की राजनीति में भी कुछ पुराने गिले-शिकवे दूर हो रहे हैं। पटना में गुरुवार को कुछ ऐसा ही हुआ, जब लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पार्टी ऑफिस में बिहार के सीएम नीतीश कुमार पहुंच गए। नीतीश कुमार के पार्टी कार्यालय में पहुंचते ही चिराग पासवान ने पैर छूकर उनका स्वागत किया। दरअसल, एलजेपी ऑफिस में चिराग पासवान की पार्टी का 25वां स्थापना दिवस का कार्यक्रम चल रहा था। चिराग पासवान ने यह पार्टी दफ्तर अपने चाचा पशुपति पारस से हासिल किया है।
पार्टी के स्थापना दिवस पर चिराग पासवान एलजेपी रामविलास के कार्यकर्ताओं से मिल रहे थे। ऐसे में नीतीश कुमार गुरुवार शाम को चिराग पासवान से मिलने पहुंच गए। नीतीश कुमार का चिराग ने गर्मजोशी से स्वागत किया। नीतीश कुमार ने भी एलजेपी के संस्थापक दिवंगत रामविलास पासवान के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान नीतीश कुमार के साथ बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी और समस्तीपुर की एलजेपी सांसद शांभवी चौधरी के पिता और राज्य के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी भी साथ थे।
हालांकि, एलजेपी की स्थापना दिवस के इस कार्यक्रम में नीतीश कुमार से पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और बिहार सरकार में भू राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल और राज्य के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी भी पहुंचे थे। लेकिन नीतीश कुमार का आना अपने आप में काफी मायने रखता है, क्योंकि साल 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और चिराग पासवान में छत्तीस का आंकड़ा था।
2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी जहां साथ-साथ चुनाव लड़ी थी, वहीं एलजेपी ने जेडीयू कैंडिडेट्स के सामने अपने उम्मीदवार उतार दिए थे। इससे जेडीयू कई सीटें हार गई थीं। इसके बाद चिराग पासवान और नीतीश कुमार के रिश्तों में काफी खटास आ गई थी। चिराग पासवान की पार्टी के एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह को भी जेडीयू ने तोड़ कर अपने साथ कर लिया था। लेकिन अब ये पुरानी अदावत दोस्ती में बदलती दिख रही है।