बिहार के सीतामढ़ी जिले के कद्दावर नेता और पूर्व एमएलसी रामेश्वर महतो ने शुक्रवार को जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) से इस्तीफा देने की घोषणा की। महतो ने पार्टी छोड़ने के फैसले के साथ-साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के भीतर चल रही अंदरूनी राजनीति पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग नीतीश कुमार को ‘मिस गाइड’ कर रहे हैं, जिससे पार्टी की स्थिति कमजोर हो रही है। रामेश्वर महतो ने जदयू से इस्तीफा देने के बाद कहा कि “पार्टी में कुछ लोग व्यक्तिगत लाभ के लिए पार्टी को कमजोर कर रहे हैं। मैं अब कुशवाहा समाज के लोगों के बीच में जाऊंगा और उनके हितों की रक्षा करूंगा।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जदयू में कुशवाहा नेताओं का शोषण किया जा रहा है, जो उन्हें और उनके समाज को आहत करता है।
इसके अलावा, महतो ने सीतामढ़ी से सांसद देवेश चंद्र ठाकुर पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह पिछड़ों का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस स्थिति के बाद वह अपनी आगे की राजनीतिक दिशा का निर्धारण करेंगे। रामेश्वर महतो ने कहा कि “जो लोग कुशवाहा समाज का अपमान कर रहे हैं, उनसे मैं किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करूंगा।” यह पहली बार नहीं है जब रामेश्वर महतो ने जदयू नेताओं पर हमला बोला है। वर्ष 2023 में उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और मंत्री अशोक चौधरी के खिलाफ भी तीखे बयान दिए थे। उस समय यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि महतो का झुकाव उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ‘राष्ट्रीय लोक समता पार्टी’ (RLSP) की ओर हो सकता है। हालांकि, तब महतो ने जदयू में ही रहने का फैसला लिया था, लेकिन अब उन्होंने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। उमेश कुशवाहा ने उस समय रामेश्वर महतो को ‘धूर्त’ तक कह दिया था, लेकिन अब महतो ने पार्टी से बाहर निकलने का कदम उठाया है।
रामेश्वर महतो का जन्म बिहार के सीतामढ़ी जिले के भासर गांव में हुआ था। वे एक प्रभावशाली नेता होने के साथ-साथ एक उद्योगपति भी हैं। महतो ने बिहार विधान परिषद के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवा दी है और लंबे समय से जदयू से जुड़े रहे हैं। वे कुशवाहा समाज के एक मजबूत प्रवक्ता के रूप में जाने जाते हैं और हमेशा से अपने समाज के हितों के लिए आवाज उठाते रहे हैं। सीतामढ़ी जिले में उनकी पहचान एक कद्दावर कुशवाहा नेता के रूप में रही है। महतो ने जदयू छोड़ने के बाद आगामी राजनीतिक कदमों के बारे में भी संकेत दिए हैं। उनकी तरफ से किए गए आरोप और पार्टी छोड़ने के इस निर्णय से राज्य की राजनीति में एक नई हलचल पैदा हो गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किस पार्टी का रुख करते हैं और कुशवाहा समाज के बीच अपनी राजनीति को और किस तरह से आकार देते हैं।