रांची: विश्वविद्यालय परिसर के निर्माण को लेकर आ रही परेशानियों को लेकर झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो केबी दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विधायक कल्पना सोरेन से मंगलवार को मुलाकात की। इस दौरान कुलपति प्रो दास ने सीएम को बधाई दी और विश्वविद्यालय परिसर के निर्माण को लेकर आ रही परेशानियों से सीएम को रूबरू कराते हुए ज्ञापन सौंपा। सीएम ने विश्वविद्यालय के जुड़ी समस्याओं को लेकर संबंधित अधिकारियों को उचित निर्देश देने का आश्वासन दिया। सीएम से मुलाकात के दौरान सीयूजे के चीफ प्रौक्टर डा मयंक रंजन और पीआरओ नरेंद्र कुमार भी मौजूद थे। प्रो दास ने सीएम को लिखी चिट्ठी में कहा है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 के तहत 01 मार्च 2009 को झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी जिसमें अभियांत्रिकी, विज्ञान, कला-संस्कृति तथा अन्य व्यवसायिक क्षेत्रों से संबंधित पाठ्यक्रम को खोलने के मद्देनजर, भारत सरकार द्वारा 500 एकड़ भूमि की आवश्यकता निर्धारित की गयी थी (पत्रांक- D.O. No. F 42-1 2007-Desk (U) Dated 29/08/2007)। संलग्नित पत्र में केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु कम-से-कम 500 एकड़ भूमि, स्थायी परिसर हेतु पहुँच पथ, विद्युत आपूर्ति एवं जलापूर्ति की व्यवस्था की आवश्यकता बताई गई, जिसे राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराया जाना था।
तदोपरान्त, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, झारखण्ड सरकार के संचिका संख्या-5/सं.भू., राँची-60/2009 संख्या-3406 रा0/ राँची, दिनांक-17.10.2011 (संलग्नक-2) द्वारा ग्राम चेड़ी-मनातु में कुल 319.28 एकड़ गैरमजरूआ भूमि विश्वविद्यालय को हस्तांतरित की गई। उक्त 319.28 एकड़ गैरमजरूआ भूमि के अतिरिक्त 70.71 एकड़ गैरमजरूआ भूमि में से 59.97 एकड़ गैरमजरूआ भूमि विश्वविद्यालय को हस्तांतरित की जा चुकी है, परन्तु ग्रामीणों के विरोध के कारण उक्त भूमि पर विश्वविद्यालय का अधिकार (Possession) नहीं हो पाया है। इसके अतिरिक्त 139.17 एकड़ रैयती भूमि में से प्रथम चरण में 15.82 एकड़ रैयती भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा की जा रही है एवं शेष 123.35 एकड़ रैयती भूमि राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहण कर विश्वविद्यालय को हस्तांतरित किया जाना है। विश्वविद्यालय को हस्तांतरित भूमि एवं भविष्य में राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालय को हस्तांतरित किये जाने वाले प्रस्तावित रैयती एवं गैरमजरूआ भूमि को भू-माफियाओं द्वारा अवैध रूप से खरीद-बिक्री किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त ग्रामीणों द्वारा भी मुआवजे की माँग को लेकर समय-समय पर विरोध कर निर्माण कार्य रूकवा दिया जाता है, जिससे विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है। विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य में इस तरह की बाधाएँ / घटनाएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस पत्र के माध्यम से महोदय का ध्यान विश्वविद्यालय में 2 दिसंबर को हुई एक अप्रिय घटना की ओर भी दिलाना है। इस दिन विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के अंदर कुछ ग्रामीणों द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया। विश्वविद्यालय को हस्तांतरित कुल भूमि एक खण्ड में नहीं हैं। इन भू-खण्डों के मध्य में रैयती भूमि अवस्थित हैं, जिसका अधिग्रहण करना नितांत आवश्यक है ताकि विश्वविद्यालय के द्वितीय चरण का निर्माण कार्य शुरू हो सके, जिसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के अकादमिक भवन, शिक्षकों एवं कर्मचारियों हेतु स्टाफ क्वार्टर, अतिथि गृह, कुलपति आवास, क्रीड़ा स्थल, मार्केट कम्पलेक्स इत्यादि का निर्माण कार्य किया जाना है। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय में आवागमन हेतु उपयुक्त चौड़ाई वाली पहुँच पथ का भी निर्णाण किया जाना है।
विश्वविद्यालय के विद्यार्थी, शिक्षक, कर्मी व बाहर से आने वाले आगंतुक, जिसकी संख्या लगभग 2500 है, वर्तमान में रिंग रोड (मनातु चौक) से विश्वविद्यालय तक पहुँचने हेतु ग्रामीण सड़क का उपयोग कर रहे हैं, जहाँ दिन-प्रतिदिन दुर्घटनाएँ होती रहती है। विश्वविद्यालय के एक पूर्व कर्मी स्वօ नेहा, कनीय अभियंता इन्हीं दुर्घटनाओं का शिकार हुई और उनकी असामयिक मृत्यु हो गई. इसी तरह, विद्यार्थियों, शिक्षकों, कर्मियों से भरी हुई विश्वविद्यालय बस भी दुर्घटना का शिकार हो चुका है। राज्य सरकार ने भू-अर्जन कार्यालय, राँची को पहुँच पथ के निर्माण हेतु आवश्यक राशि का भी वितरण कर दिया गया है, इसके उपरान्त भी पहुँच पथ का निर्माण कार्य अभी तक लंबित है। राज्य सरकार द्वारा विश्वविदयालय हेतु उपयुक्त विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था कर दी गई है, जिसके लिए विश्वविद्यालय राज्य सरकार को अपना आभार प्रकट करता है। विश्वविद्यालय में जलापुर्ति की भी व्यवस्था राज्य सरकार को करनी है, जो अभी राज्य सरकार के संबंधित विभाग के समक्ष लंबित है। प्रो दास ने उपरोक्त तथ्यों के आलोक में विचार करते हुए सीएम से अनुरोध किया है कि विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने का कष्ट करें ताकि झारखण्ड राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय जैसे अग्रणी शिक्षण संस्थान का निर्माण कार्य पूर्ण हो सके–
1.विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु आवश्यक कुल 139.17 एकड़ रैयती भूमि का अधिग्रहण कर विश्वविद्यालय को हस्तांतरित किया जाए
2.विश्वविद्यालय को हस्तांतरित भूमि पर स्वच्छतापूर्वक उपलब्ध कराया जाए ताकि भू-माफियाओं से बचाया जा सके.
3.रिंग रोड से विश्वविद्यालय तक पहुँच पथ का निर्माण कार्य जल्द-से-जल्द पूर्ण किया जाए ताकि भविष्य में किसी भी अप्रिय दुर्घटना से बचा जा सके.
4.विश्वविद्यालय हेतु जलापुर्ति की व्यवस्था की जाए.
5.विश्वविद्यालय अंतर्गत पुलिस चौकी स्थापित किया जाए ताकि विश्वविद्यालय परिसर में रह रहे लगभग 250 लड़के और 250 लड़कियाँ की सूरक्षा हो