आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थापना अन्ना हजारे के उस आंदोलन के बाद हुई थी, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ थी। आंदोलन का रिजल्ट आम आदमी पार्टी के रूप में आया और आंदोलनकारी राजनीतिज्ञ बन गए। लेकिन अब उसी आंदोलन के साथियों का टिकट कट रहा है तो वे केजरीवाल के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। इनमें कुछ तो ऐसे आगे बढ़ रहे हैं, जैसे वे दिल्ली में केजरीवाल को नहीं जीतने देने के लिए लड़ेंगे। दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष खुलकर सामने आ रहा है। पार्टी के कुछ विधायकों ने टिकट काटे जाने पर नेतृत्व के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिए हैं। सीलमपुर से विधायक अब्दुल रहमान ने पार्टी छोड़ दी है, जबकि त्रिलोकपुरी के विधायक रोहित कुमार ने संकेत दिया है कि वह नई दिल्ली सीट से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं।
त्रिलोकपुरी से मौजूदा विधायक रोहित कुमार, जिनका टिकट काटकर पार्टी ने अंजना पारचा को उम्मीदवार बनाया है, ने पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रोहित ने कहा, “मैं ‘जी हजूरी’ करने वाला व्यक्ति नहीं हूं। मैं स्वाभिमानी और खुद्दार हूं। शायद यही वजह है कि मेरा टिकट काट दिया गया।” रोहित ने यह भी कहा कि उन्होंने अन्ना आंदोलन के समय से पार्टी के लिए काम किया और नई दिल्ली में केजरीवाल को मजबूती दिलाने के लिए दिन-रात मेहनत की। उन्होंने कहा, “जब झाड़ू सिंबल लॉन्च हुआ, मैं मंच पर मौजूद था। लेकिन आज वे हमें दरकिनार कर रहे हैं।”
रोहित ने पार्टी के फैसलों पर तीखी आलोचना करते हुए कहा कि जिन लोगों को कभी पार्टी ने भ्रष्टाचारी और माफिया कहा था, उन्हें अब टिकट दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि संतोष कोली की हत्या के आरोपी वीर सिंह धींगान को टिकट देना बेहद चौंकाने वाला है। रोहित ने कहा, “सत्ता का मोह इतना बढ़ गया है कि किसी भी हद तक जाया जा सकता है।” रोहित ने दावा किया कि अन्ना आंदोलन से जुड़े पुराने नेताओं को एक-एक कर साइडलाइन किया जा रहा है। उन्होंने दिलीप पांडे, ऋतुराज, प्रवीण, जारवाल, और राजेश ऋषि जैसे नेताओं के टिकट काटे जाने पर भी नाराजगी जाहिर की। रोहित का कहना है कि पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं के योगदान को भुला दिया गया है।