जमुई के झाझा प्रखंड स्थित नागी अंतरराष्ट्रीय पक्षी आश्रयणी में पहली बार दुर्लभ पक्षी काला सिंखुर और कालजंघा दिखे। कहा जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हाल के कुछ वर्षों में इसकी संख्या में काफी गिरावट आई है, जिसकी वजह से इन्हें दुर्लभ पक्षी की श्रेणी में शामिल किया गया है। बता दें कि काला सिंखुर को आमतौर पर फाल्केटेड डक और कालजंघा को ग्रेटर स्पॉटेड ईगल कहा जाता है।
पक्षी विशेषज्ञ अरविंद कुमार मिश्रा का कहना है कि ‘काला सिंखुर आमतौर पर रूस, चीन और मंगोलिया के ठंडे स्थान पर आर्द्र भूमि के करीब पाया जाता है। वहीं कालजंघा रूस और कजाकिस्तान में पाया जाता है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के अनुसार कालजंघा कभी भी झुंड में नहीं रहते हैं, बल्कि हमेशा ही अलग-अलग क्षेत्र में शिकार करने के लिए विचरण करते हैं।’
जिला वन पदाधिकारी तेजस जायसवाल का कहना है कि ‘अंतरराष्ट्रीय पक्षी आश्रयणी का दर्जा प्राप्त होने के बाद यहां पर आने वाले अलग-अलग प्रकार के प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित प्रवास और भोजन की व्यवस्था की गई है।’