पटना: बिहार में सुरक्षित और कुशल वाहन संचालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब पटना और औरंगाबाद के बाद पूर्णिया, भागलपुर, दरभंगा, सारण और गया में भी अत्याधुनिक तकनीक और कैमरों से लैस ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक तैयार किए जाएंगे। यह पहल परिवहन विभाग और मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के बीच हुए समझौते के तहत की जा रही है। राज्य परिवहन विभाग की मंत्री शीला कुमारी ने कहा कि मारुति सुजुकी की सड़कों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता सराहनीय है। ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक के माध्यम से प्रशिक्षित और कुशल ड्राइवर तैयार होंगे, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी और यातायात अधिक सुरक्षित होगा।
परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक को पूरी तरह स्वचालित बनाया जाएगा। इस तकनीक में उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे और इंटीग्रेटेड आईटी सिस्टम का उपयोग होगा। परीक्षण प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मानवीय हस्तक्षेप न्यूनतम हो। ड्राइविंग टेस्ट पास करने वाले आवेदकों को ही लाइसेंस दिया जाएगा।
मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के सीएसआर फंड के तहत इन पांच जिलों में टेस्टिंग ट्रैक का ऑटोमेशन किया जाएगा। कंपनी के एक्जीक्यूटिव ऑफिसर, कॉरपोरेट अफेयर्स श्री राहुल भारती ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य केवल योग्य और प्रशिक्षित चालकों को लाइसेंस देना है। इससे सड़क सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
राज्य परिवहन आयुक्त नवीन कुमार ने बताया कि पटना और औरंगाबाद में पहले से ही ऑटोमेटेड टेस्टिंग ट्रैक काम कर रहे हैं, जिनकी सफलता को देखते हुए यह सुविधा अन्य जिलों में भी लागू की जा रही है। इन जिलों में नई तकनीक के तहत टेस्टिंग ट्रैक तैयार होने के बाद यह सुनिश्चित होगा कि लाइसेंस केवल उन लोगों को दिया जाए, जो कुशल और ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक हैं। ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक के ऑटोमेशन से लाइसेंस प्रक्रिया में सुधार होगा और यह अधिक पारदर्शी बनेगी। परिवहन विभाग का मानना है कि इससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी और बिहार में यातायात व्यवस्था बेहतर होगी।
परिवहन सचिव ने बताया कि आने वाले समय में इस तकनीक को राज्य के सभी जिलों में लागू करने की योजना है। यह कदम बिहार में सड़क सुरक्षा को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक बड़ी पहल है।