केंद्र सरकार द्वारा बिहार समेत पांच राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति के बाद बिहार में राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। केरल के पूर्व राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का 42वां राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वह राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की जगह लेंगे, जिन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया है। लेकिन आरिफ मोहम्मद खान की नियुक्ति के साथ ही विपक्षी दलों ने इस फैसले को लेकर सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। राजद को बिहार में भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक राज्यपाल में बड़ी राजनीतिक साजिश दिख रही है। तो दूसरी ओर कांग्रेस बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर तरस खाते हुए उन्हें आगाह कर रही है।
राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने आरिफ मोहम्मद खान की नियुक्ति पर कहा कि “बिहार में राज्यपाल की नियुक्ति एक खास राजनीतिक सोच के तहत की गई है। केंद्र सरकार अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाएगी। बिहार की जनता डबल इंजन सरकार की नफरत फैलाने वाली साजिशों को समझ रही है।” दूसरी ओर कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि “आरिफ मोहम्मद खान का स्वागत है, लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि बीजेपी और आरएसएस एक आरएसएस कैडर को हटाकर अल्पसंख्यक व्यक्ति को राज्यपाल बनाती है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या बिहार चुनाव से पहले नीतीश कुमार को भी किनारे कर दिया जाएगा।”
हालांकि भाजपा के प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा का कहना है कि “आरिफ मोहम्मद खान की नियुक्ति सर्वधर्म समभाव का उदाहरण है। विपक्ष को यह स्वीकार करना चाहिए कि यह निर्णय अल्पसंख्यक विरोधी होने के आरोपों को गलत साबित करता है। विपक्ष इसे भी मुद्दा बना रहा है, जो उनके दोहरे चरित्र को उजागर करता है।”