बिहार सरकार ने जमीन के सर्वेक्षण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब सर्वेक्षण के लिए वंशावली प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं होगा। पिछले तीन महीनों में वंशावली को लेकर उठे भ्रम ने रैयतों पर अतिरिक्त खर्च डाला था, और अब सरकार ने इस प्रक्रिया को सरल और समयबद्ध बनाने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। राजस्व और भूमि सुधार विभाग ने बताया कि पहले वंशावली को लेकर विभिन्न निर्देश दिए गए थे, जिनमें एक बार सरपंच से वंशावली बनाने की बात कही गई थी, फिर इसे स्व-लिखित रूप में देने की बात हुई थी। अब सरकार ने इस प्रक्रिया में नया संशोधन किया है, जिसके अनुसार अब जमीन के सर्वेक्षण के लिए वंशावली प्रस्तुत करना आवश्यक नहीं होगा।
इसके साथ ही विभाग ने सर्वेक्षण की प्रक्रिया को और भी सुलभ और तेज बनाने के लिए समय सीमा को बढ़ाया है। किश्तवार गांवों का मानचित्र तैयार करने का समय 30 दिन से बढ़ाकर 90 दिन कर दिया गया है। खानापुरी पर्चा वितरण का समय 15 दिन से बढ़ाकर 30 दिन किया गया है, और इस पर दावा-आपत्ति दर्ज करने का समय 30 दिन से बढ़ाकर 60 दिन कर दिया गया है।
पटना जिले की बात करें तो जिले में कुल 1511 राजस्व ग्राम हैं, जिनमें 1300 ग्रामों में सर्वे का काम शुरू हो चुका है। जिले के 7 लाख परिवारों से आवेदन की उम्मीद है, जिनमें से अब तक लगभग 3 लाख आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जो कुल आवेदन का 40 प्रतिशत हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक आवेदन प्राप्त करने के लिए सर्वे टीम लगातार काम कर रही है और व्यापक जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है।
राजस्व विभाग ने एक बार फिर से यह दावा किया है कि मार्च 2025 तक सभी नागरिकों को जमीन सर्वेक्षण के लिए आवेदन देना अनिवार्य होगा। 1 अप्रैल 2024 से सर्वेक्षण का काम आधिकारिक रूप से शुरू हो जाएगा। राजस्व विभाग ने समयसीमा बढ़ाकर सर्वेक्षण की प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में यह कदम उठाया है, ताकि नागरिक समय पर अपनी जमीन के रिकॉर्ड को अपडेट कर सकें और 1 अप्रैल से सर्वेक्षण की प्रक्रिया की सुचारू शुरुआत हो सके।