नई दिल्ली: बुधवार को संसद में “एक देश एक चुनाव” (One Nation-One Election) के लिए पेश किए गए 129वें संविधान (संशोधन) बिल की समीक्षा के लिए बनी जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की पहली बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में JPC के सदस्यों ने संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा की। संसद के शीतकालीन सत्र में यह बिल पेश होने के बाद 31 सदस्यीय JPC का गठन किया गया था, जिसमें 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा सांसद शामिल थे। हालांकि, विभिन्न पार्टियों की मांग के बाद सरकार ने समिति में 8 और सदस्य जोड़ने का फैसला किया। अब इस समिति में लोकसभा से 27 और राज्यसभा से 12 सांसद हैं।
JPC में शामिल प्रमुख सदस्य:
कांग्रेस से प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, और सुखदेव भगत सिंह, भाजपा से बांसुरी स्वराज, संबित पात्रा, और अनुराग सिंह ठाकुर, और तृणमूल कांग्रेस (TMC) से कल्याण बनर्जी के नाम प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त, समाजवादी पार्टी (SP), द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK), तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और अन्य दलों के सांसद भी JPC के सदस्य बनाए गए हैं। सरकार ने इस समिति से अपनी रिपोर्ट को अगले सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक प्रस्तुत करने की उम्मीद जताई है।
विपक्ष का विरोध और सरकार का मत
संविधान संशोधन बिल पेश करने के लिए सरकार को संसद में बहुमत नहीं मिल सका। कानून मंत्री मेघवाल ने 17 दिसंबर को लोकसभा में यह बिल रखा था, लेकिन विपक्षी सांसदों ने इसका विरोध किया। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई, जिसमें बिल के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। इसके बाद पर्ची से दोबारा मतदान हुआ, जिसमें संशोधन के पक्ष में वोट किए गए।
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हालांकि, कांग्रेस ने इस बिल का विरोध जारी रखा है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा के पास संविधान संशोधन के लिए आवश्यक दो तिहाई बहुमत नहीं है, जिससे इसे पारित कराना मुश्किल है। कांग्रेस के अनुसार, लोकसभा में दो तिहाई बहुमत के लिए 362 सीटों की आवश्यकता है, लेकिन एनडीए के पास महज 292 सीटें हैं। राज्यसभा में भी दो तिहाई बहुमत के लिए 164 सीटों की आवश्यकता है, लेकिन एनडीए के पास केवल 112 सीटें हैं।