रांची: केंद्र सरकार झारखंड के साथ मनमाना रवैया अपनाना बंद करें राज्य में चल रही केंद्रीय योजनाओं के मद में बकाया राशि के साथ-साथ अन्य मद की राशि भी केंद्र सरकार विमुक्त करे।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सोनाल शांति ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों आवास आबंटित किए गए जबकि 2 वर्षों तक झारखंड के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाते हुए योजना के तहत आवासों का आवंटन नहीं किया गया। झारखंड वासियों को आवास उपलब्ध कराने की दशा में अबुआ आवास योजना शुरू की गई तीन कमरों के शौचालय, किचन सहित अबुआ आवास के मॉडल के लोकप्रिय होने के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जनता एक कमरे का आवास लेना नहीं चाहती। केंद्र सरकार झारखंड में अबुआ आवास का मॉडल अपनाते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि को बढ़ाकर 2 लाख करे। झारखंड सरकार द्वारा छतविहिन लोगों को घर उपलब्ध कराने में अबुआ आवास के तहत अभी तक खर्च की गई 13000 करोड़ की राशि केंद्र सरकार वहन कर इसकी भरपाई करे।
उन्होंने मांग किया कि मनरेगा के तहत बकाया 6000 करोड़ की राशि भी केंद्र को तत्काल निर्गत करना चाहिए। इस वित्तीय वर्ष में हर घर नल से जल योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा किसी राशि का आवंटन नहीं किया गया जबकि केंद्र सरकार को 50% की राशि वहन करनी है। इस वित्तीय वर्ष में 3000 करोड़ से अधिक केंद्र सरकार पर इस योजना में बकाया होने से योजना की रफ्तार धीमी होने की संभावना है। झारखंड की जनता अच्छी तरह समझ रही है कि केंद्र सरकार के मुखिया झारखंड में मिली करारी हार से इस कदर विचलित है कि झारखंड को उसके वाजिब हक से वंचित कर रहे हैं। केंद्रीय कोयला मंत्री झारखंड के दौरे पर हैं और मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने झारखंड के 136000 करोड़ की मांग को पुनः सामने रखा है। सीएसआर फंड का दायरा बढ़ाने और बंद हो चुकी खानों खदानों की भूमि झारखंड सरकार को वापस करने की मांग को गंभीरतापूर्वक लेते हुए तत्काल राशि का भी भुगतान करना चाहिए।
यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि लोकसभा में झारखंड के बकाए के प्रश्न पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री सदन को गुमराह करते हुए किसी बकाया से इनकार करते हैं केंद्रीय मंत्री और अधिकारी बकाए राशि को स्वीकारते हैं यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए विध्वंसक है। इस वित्तीय वर्ष में झारखंड पांच माह तक चुनावी झंझावात में फंसा रहा राज्य में चुनावी दौर में आर्थिक गतिविधियां धीमी रही,विकास की गति अभी रफ्तार पकड़ रही है, अतः केंद्र को झारखंड का सभी बकाया सहित अन्य योजनाओं की राशि अविलंब निर्गत करनी चाहिए ताकि वर्तमान वित्तीय वर्ष के अपने लक्ष्य को राज्य तेजी से हासिल कर सके।